गंगा दशहरा पर करें ये काम, मिलेगी 10 तरह के पापों से मुक्ति!

धर्म { गहरी खोज } : गंगा दशहरा सनातन धर्म का एक बहुत ही खास पर्व हैं। यह वहीं दिन जब मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा भगीरथ के 60000 पूर्वजों को मोक्ष देने के लिए उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर इसी दिन मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था। मां गंगा का धरती पर आगमन ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हुआ था। इस दिन सभी गंगा घाटों पर भक्तों की भारी भीड़ लगती है और लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके अलावा गंगा दशहरे के दिन लोग धार्मिक अनुष्ठान, पूजा पाठ, हवन स्नान दान आदि करते हैं।मान्यता है कि इस दिन गा स्नान और पुण्य कर्मों से जीवन के दस प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
गंगा दशहरा कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 4 जून को देर रात 11 बजकर 54 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 6 जून को रात 2 बजकर 15 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार गंगा दशहरा का पर्व 5 जून को मनाया जाएगा।
कैसे मिलेगी पापों से मुक्ति?
गंगा दशहरा जेष्ठ माह शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। दशमी तिथि यानी 10 अंक का इस दिन विशेष महत्व हैं। शास्त्रों में गंगा को मोक्षदायिनी कहा गया है। गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की 10 बार डुबकी लगाने से 10 तरह के पापों का नाश होता है। गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य को मरने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं उसके पूर्वजों को भी शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इन 10 पापों से मिलेगी मुक्ति
शास्त्रों व पुराणों में बताया गया है कि पाप 10 तरह के होते हैं और कोई भी मनुष्य या जीव इन्हीं 10 तरह के पापों को छोड़कर कोई और पाप नहीं कर सकता है। हर तरह के पाप इन 10 श्रेणियों में ही आते हैं। इन 10 श्रेणियों के पापों को तीन वर्गों में बांटा गया है और ये हैं कायिक, वाचिक और मानसिक। अर्थात मनुष्य कोई भी पाप शरीर, वाणी और दिमाग या मन से करता है।
कायिक (शारीरिक पाप)
किसी की वस्तु चोरी करना या बिना अनुमति के लेना
हिंसा करना
परस्त्री गमन करना
वाचिक (वाणी के द्वारा पाप)
अनुचित बोलना
असत्य का पालन करना
चुगली करना
दूसरों की निंदा करना
मानसिक (मन से किए हुए पाप)
दूसरे व्यक्ति का अहित करना
किसी के धन को हड़पने की सोचना
किसी के झूठ में शामिल होना