झारखंड सरकार ने 16वें वित्त आयोग से करों में हिस्सेदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की

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झारखंड सरकार

रांची{ गहरी खोज }: झारखंड सरकार ने 16वें वित्त आयोग से राज्यों की करों में हिस्सेदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की है। 15वें वित्त आयोग के तहत करों में राज्यों को 41 प्रतिशत हिस्सा दिया जाता है। 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने राज्य की राजधानी में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राज्य सरकार की ओर से 16वें वित्त आयोग के तहत करों के बटवारे में राज्यों की हिस्सेदारी 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की गई है। वित्त आयोग का गठन केंद्र और राज्यों में करों के बटवारे को तय करने के लिए हर पांच वर्ष में किया जाता है।16 वें वित्त आयोग का गठन वित्त वर्ष 2026-27 से लेकर वित्त वर्ष 2030-31 तक केंद्र और राज्यों में करों के बटवारे को तय करने के लिए किया गया है।
16वें वित्त आयोग के चेयरमैन ने बताया कि राज्य ने करों को कैसा बाटा जाए इसके लिए भी सुझाव दिए हैं। राज्य सरकार का कहना है कि करों के 17.5 प्रतिशत हिस्से को जनसंख्या के आधार पर, 15 प्रतिशत हिस्से को क्षेत्र के आधार पर, 50 प्रतिशत हिस्से को प्रति व्यक्ति आय के आधार पर यानी जितनी कम आय हो उतना ज्यादा टैक्स, 12.5 प्रतिशत हिस्से को जंगल के आधार पर, 2.5 प्रतिशत को जीएसटी नुकसान के आधार पर और बाकी 2.5 प्रतिशत इस आधार पर दिया जाना चाहिए कि कौन राज्य कितना प्रयास कर रहा है। बता दें, राज्य के चार दिवसीय दौरे पर आई आयोग की टीम के समक्ष राज्य सरकार के मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों और प्रतिनिधियों ने विभिन्न क्षेत्रों में समेकित और समावेशी विकास के संभावित रोडमैप पर विस्तृत प्रेजेंटेशन भी दिया।
झारखंड सरकार ने 16वें वित्त आयोग से राज्य के विकास के लिए कुल 3 लाख 3 हजार 527 करोड़ रुपए का ग्रांट मांगा है। सरकार ने आयोग को बताया कि देश की आवश्यकताओं के लिए खनिज एवं प्राकृतिक संपदा संपन्न इस राज्य के संसाधनों का जितने बड़े पैमाने पर दोहन किया जाता है, उस अनुपात में उसे केंद्रीय अनुदान में हिस्सा अब तक नहीं मिल पाया है।
आधिकारिक तौर पर उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने आधारभूत संरचना के विकास के लिए सबसे ज्यादा 2 लाख 1 हजार 772 करोड़ रुपए की मांग रखी है। इसके तहत सड़क, पुल, ग्रामीण विकास, परिवहन, शहरी विकास, ऊर्जा, उद्योग और पर्यटन आदि से संबंधित जरूरतों को रेखांकित किया गया है।
सामाजिक सेक्टर में विकास के लिए 44 हजार 447 करोड़, कृषि, वन एवं जल संसाधन के क्षेत्र के लिए 41 हजार 388 करोड़ और गृह, पंचायती राज, भूमि सुधार, राजस्व आदि क्षेत्र के लिए 17 हजार 918 करोड़ की मांगें आयोग के समक्ष रखी गई हैं।

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