84 साल की मां ने बेटी के लिए रचा इतिहास, किडनी दान कर दिया नया जीवन

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: राजस्थान की राजधानी जयपुर के एसएमएस अस्पताल में बुजुर्ग महिला अपनी बेटी को नया जीवन दिया है। 84 साल की बुद्धो देवी ने अपनी 46 साल की बेटी गुड्डी देवी को किडनी दान कर उसे नया जीवन दान दिया है। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में अब तक की सबसे उम्रदराज किडनी डोनर का यह पहला मामला है।
गुड्डी देवी को अक्टूबर 2024 से ही क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) थी और वह नियमित डायलिसिस पर निर्भर थीं। जब डॉक्टरों ने बताया कि दोनों किडनियां पूरी तरह फेल हो चुकी हैं और अब ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय है, तब उनकी मां बुद्धो देवी सामने आईं। 84 साल की उम्र में किडनी डोनेट करना मेडिकल साइंस की नजर में जोखिम भरा माना जाता है, लेकिन बुद्धो देवी ने बिना डरे अपनी बेटी की जान बचाने का फैसला लिया।
“मैंने अपना जीवन जी लिया है”- मां
भरतपुर जिले की रहने वाली बुद्धो देवी ने कहा कि डॉक्टरों ने जब मुझसे पूछा कि क्या मैं अपनी बेटी को किडनी दे सकती हूं, तो मुझे बिल्कुल डर नहीं लगा। मैंने अपना जीवन जी लिया है। अगर मेरे किसी अंग से मेरे बच्चों का दर्द कम हो सकता है, तो मैं खुशी से तैयार हूं। उन्होंने बताया कि वह हमेशा से स्वस्थ रही हैं, उन्हें कभी कोई बड़ी बीमारी नहीं हुई।
गाय का दूध, देसी घी और मेहनत से बनी फिटनेस
बुद्धो देवी ने बताया कि उनके पास सात बीघा जमीन है जहां वह खेती करती हैं और गाय-भैंस भी पालती हैं। उन्होंने पूरी जिंदगी खेतों में मेहनत की, गाय का दूध और घर का बना घी खाया और अपने खेत की सब्जियां खाईं। इतनी अधिक उम्र होने के बाद भी बुद्धो देवी को ना तो डायबिटीज है, न ही ब्लड प्रेशर और ना कोई अन्य बीमारी।
डॉक्टरों ने की सराहना
एसएमएस अस्पताल के वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ। धनंजय अग्रवाल ने कहा कि अब तक अस्पताल में सबसे बुजुर्ग डोनर 79 साल की महिला थीं, जिन्होंने अपने पोते को किडनी दी थी। लेकिन बुद्धो देवी अब सबसे उम्रदराज डोनर बन चुकी हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर 60-65 साल से ऊपर के लोगों से किडनी नहीं ली जाती, लेकिन बुद्धो देवी की फिटनेस, मानसिक दृढ़ता और जज्बे ने इस ट्रांसप्लांट को संभव बनाया।
मां-बेटी दोनों स्वस्थ
यह जटिल सर्जरी 23 मई को की गई और बुद्धो देवी को केवल तीन दिन बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उनकी बेटी गुड्डी देवी अभी ICU में हैं, लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक उनकी हालत स्थिर है और नई किडनी ने काम करना शुरू कर दिया है। अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ। शिवम प्रियदर्शी ने कहा कि यह मामला उन सभी परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है जो उम्र के कारण ऑर्गन डोनेशन को लेकर असमंजस में रहते हैं।