चाय बागान के नाले में गिरकर हाथी के बच्चे की मौत, दुखी मां की चिंघाड़ से गूंज रहा पूरा जंगल

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डुआर्स{ गहरी खोज }: नेपुचापुर चाय बागान के एक नाले में गिरकर हाथी के बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई है। बच्चे की मौत से मां हाथी बेहद दुखी है और उसकी कराहते हुए चिंघाड़ की आवाज पूरे जंगल में गूंज रही है। यह घटना डुआर्स क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमियों और वन विभाग के लिए चिंता का विषय बन गई है।
जानकारी के अनुसार, यह हादसा लतागुड़ी जंगल के किनारे बने नाले में हुआ, जहां हाथियों का झुंड मंगलवार की रात जलपाईगुड़ी जिले के क्रांति ब्लॉक के अपालचंद रेंज से होते हुए चेल नदी पार कर नेपुचापुर चाय बागान से लतागुड़ी जंगल लौट रहा था। इस दौरान झुंड के एक हाथी के बच्चे का पैर नवनिर्मित नाले में फंस गया। उसकी मां ने कई बार बच्चे को निकालने की कोशिश की, लेकिन नाले की गहराई और स्थिति के कारण वह असमर्थ रही। बच्चे की मौत हो गई, जिससे मां हाथी की पीड़ा और चिंघाड़ पूरे जंगल में सुनाई दी।
वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचकर जांच कर रहे हैं। वहीं, पर्यावरण संगठन और स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। ग्रीन डुआर्स के पर्यावरण कार्यकर्ता तानिया हक ने कहा, “यह एक बेहद दुखद घटना है, जिससे हमें स्थानीय स्रोतों से आज सुबह पता चला। हमें यह जानना जरूरी है कि क्या यह केवल नाले में गिरने और मिट्टी दबने से हुई मौत है या इसके पीछे कुछ और कारण भी हैं।”
पर्यावरणविदों का मानना है कि हाथियों के झुंड को इंसानी गतिविधियों के कारण परेशान किया गया था, जिसके चलते उन्हें सामान्य मार्ग छोड़कर नेपुचापुर चाय बागान से होकर गुजरना पड़ा। इससे यह दुखद हादसा हुआ। साथ ही यह भी सवाल उठता है कि जंगल में इतने बड़े और गहरे नाले क्यों बनाए गए, जो हाथियों जैसे वन्यजीवों के लिए खतरा बन गए हैं। इसके अलावा घटनास्थल पर लगे बिजली के तारों के उद्देश्य पर भी संदेह जताया जा रहा है।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों की ओर से वन विभाग से मांग की गई है कि वे इस मामले की गहन और पारदर्शी जांच करें और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। साथ ही वन रक्षकों की भूमिका और हाथियों को खदेड़ने वाले इंसानी हस्तक्षेप की भी जांच आवश्यक है।
यह दुखद घटना डुआर्स क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुद्दों पर गंभीर चिंतन का विषय बन गई है।

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