पेड़ों की अवैध कटाई मामले में वी के सक्सेना बरी, दोषी डीडीए अधिकारियों पर लगाया जुर्माना

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नयी दिल्ली { गहरी खोज }: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली रिज क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित अदालती अवमानना के एक मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को बुधवार को बरी दिया, लेकिन प्रत्यके दोषी अधिकारी को 25,000 रुपये को जुर्माना भरने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन के सिंह की पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए पेड़ों के नुकसान की भरपाई के लिए कई निर्देश भी दिए।
पीठ ने डीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष सुभाषिश पांडा को भी राहत दी और उनके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही बंद कर दी। उन्हें राहत देते हुए अदालत ने कहा कि अब वह इस पद (उपाध्यक्ष) पर नहीं हैं और पहले भी पूर्णकालिक सदस्य नहीं थे।
पीठ ने हालांकि कहा इस संवेदनशील मामले में अदालत की अवमानना ​​हुई है, लेकिन दोषी डीडीए अधिकारियों पर कुछ आर्थिक दंड लगाने के बाद मामले को इसे बंद किया जा सकता है।
उपराज्यपाल इस मामले में पक्षकार नहीं थे, लेकिन अदालत ने उनसे भी स्पष्टीकरण मांगा था।
शीर्ष अदालत के 1996 के एक फैसले का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि डीडीए अधिकारियों ने पेड़ों की कटाई की अनुमति देने से पहले उच्चतम न्यायालय की अनुमति न लेकर स्पष्ट रूप से अदालत की अवमानना ​​की है। इसलिए उन पर जुर्माना लगाया गया है। अदालत ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को शीर्ष अदालत से अनुमति लेना अनिवार्य था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
न्यायालय ने तीन सदस्यीय एक समिति के गठन करने का आदेश दिया, जो एक योजना बनाकर अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की भरपाई के उपाय बताएगी।
पीठ ने कहा कि यह समिति समय-समय पर प्रगति रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करेगी। यह मामला बिना अनिवार्य अदालती मंजूरी के रिज क्षेत्र में 600 से अधिक पेड़ों को काटने से संबंधित है। उन पेड़ों की कटाई कथित तौर पर निर्माणाधीन केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आयुर्विज्ञान संस्थान अस्पताल तक जाने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए की गई थी।

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