क्यों आ रहे कोरोना के नए-नए वेरिएंट, क्या है इसके पीछे मेडिकल साइंस

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: कोरोना एक बार फिर से पूरी दुनिया के लिए चिंता कारण बन गया है। सिंगापुर, हांगकांग और चीन के बाद कोरोना संक्रमण अमेरिका और एशिया के कई देशों में फैल चुका है। हर साल कोरोना का नया वेरिएंट दुनिया को परेशान करता है। इस साल भी अप्रैल में कोरोना संक्रमण का फैलाव शुरु हुआ अब तक कोरोना के तीन नए वेरिएंट सामने आ चुके हैं। तीनों ही वेरिएंट को लेकर दुनिया भर में निगरानी चल रही है। नए वेरिएंट के संक्रमण फैलने के प्रभाव और उनकी गंभीरता को लेकर सभी चिंतिंत हैं। कई देशों में कोरोना को लेकर एडवाइजरी भी जारी कर दी गई है।

2020 में कोरोना संक्रमण का फैलाव शुरु हुआ था। जिसके बाद कोरोना के तीन नए वेरिएंट सामने आए थेे। इनमें डेल्टा वेरिएंट सबसे ज्यादा गंभीर था, जिसमें पूरी दुनिया में कहर बरपा दिया था। कोरोना का डेल्टा वेरिएंट बेहद तेजी के साथ फैला था और इससे संक्रमित हुए लाखों लोगों ने अपनी जान गवां दी थी। डेल्टा के बाद कोरोना के नए वेरिएंट हल्के पड़ते गए। कोरोना के लगभग अंत पर ओमीक्रॉन वेरिएंट सामने आया था। ओमीक्रॉन वेरिएंट उस समय सबसे हल्का वेरिएंट था। यह ज्यादा संक्रामक और गंभीर भी नहीं था। जिसके कारण पूरी दुनिया इसके प्रभाव से महज कुछ ही दिनों में मुक्त हो गई थी। अब हर साल कोरोना का कोई न कोई नया वेरिएंट आ रहा है। इस साल कोरोना के तीन नए वेरिएंट आए हैं।

मरीज की कोशिकाओं के जरिए होता है म्यूटेशन
गाजियाबाद से जिला सर्विलांस अधिकारी (डीएसओ) डॉ। आरके गुप्ता बताते हैं कि कोरोना वायरस खुद म्यूटेट नहीं कर सकता। किसी व्यक्ति को संक्रमण होने पर उसकी कोशिकाओं के जरिए यह म्यूटेट होता है। उस व्यक्ति से जिसको भी संक्रमण होता है, वह नए वेरिएंट का होता है। वेरिएंट घातक होगा या सामान्य इसका सीधा असर म्यूटेशन से होता है। यदि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर होती है तो म्यूटेशन घातक हो सकता है, जबकि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने पर म्यूटेशन हल्का हो सकता है। डॉ। गुप्ता कहते हैं कि हालांकि इस बारे में अभी भी शोध चल रहे हैं कि वायरल म्यूटेट होकर गंभीर या हल्का क्यों होता है।

मौसम के बदलने पर बढ़ता है कोरोना
डॉ। गुप्ता कहते हैं कि इस साल दुनिया में कोरोना के तीन नए वेरिएंट मिले हैं। तीनों वेरिएंट की निगरानी चल रही है। फिलहाल इनके गंभीर और संक्रामक होने के पुख्ता साक्ष्य नहीं मिले हैं। डॉ। गुप्ता कहते हैं कि कोरोना संक्रमण को लेकर अब वायरल के मालमों में इसकी जांच को बढ़ाया गया है। जिस तरह से मौसम में बदलाव होने पर वायरल संक्रमण फैलते हैं इसी तरह कोरोना संक्रमण का भी हेव महसूस हो रहा है। मौसम के बदलने के दौरान लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है, जिससे कोरोना को फैलने का अवसर मिल जाता है। मौसम बदलने के दौरान इसका संक्रमण शुरु होता है और इसका पता चलने में एक से दो या तीन महीने का समय लग जाता है। शुरु में संक्रमण हल्का होता है, ज्यादा फैलता नहीं है। जिसके कारण यह नोटिसेबल नहीं होता। अधिक लोगों के संक्रमित होने पर इसे नोटिस किया जाता है।

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