भूषण स्टील के परिसमापन कार्यवाही पर यथास्थिति का सुप्रीम कोर्ट का आदेश

0
598227-750x450598213-jsw-steel-sc

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) के परिसमापन कार्यवाही पर पुनर्विचार याचिका दायर करने की समय सीमा समाप्त होने तक यथास्थिति बनाए रखने का सोमवार को आदेश दिया।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की अंशकालिक कार्य दिवस पीठ ने जेएसडब्ल्यू स्टील की याचिका पर यह आदेश पारित किया।
पीठ ने निर्देश दिया कि जब तक जेएसडब्ल्यू की पुनर्विचार याचिका दायर करने की समय सीमा समाप्त नहीं हो जाती, तब तक परिसमापन प्रक्रिया में कोई और कदम नहीं उठाया जाएगा।
पीठ ने अदालत ने कहा कि परिसमापन की ओर कोई भी कदम संभावित रूप से जेएसडब्ल्यू स्टील के फैसले की समीक्षा करने के अधिकार को नुकसान पहुंचा सकता है।
शीर्ष अदालत का यह आदेश दो मई को बीपीएसएल के लिए जेएसडब्ल्यू की 19,700 करोड़ रुपये की समाधान योजना को खारिज करने के हफ्तों बाद आया है।
जेएसडब्ल्यू स्टील की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने पीठ को सूचित किया कि समीक्षा याचिका दायर करने की अंतिम तिथि दो जून है। उन्होंने चिंता जताई कि एनसीएलटी जेएसडब्ल्यू की समीक्षा रास्ते बंद होने से पहले ही परिसमापक नियुक्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
मामले की जटिलता और बीपीएसएल की परिचालन लाभप्रदता पर जोर देते हुए श्री कौल ने कहा, “यदि एक परिसमापक नियुक्त किया जाता है तो हम बड़ी मुश्किल में पड़ जाएंगे। यह समाधान योजना चार साल पहले दी गई थी।”
शीर्ष अदालत ने माना कि एनसीएलटी की कार्यवाही उसके दो मई के निर्देशों के अनुपालन में थी, लेकिन न्याय के हित में आगे के कदमों को अस्थायी रूप से रोकने का फैसला किया। उन्होंने तर्क दिया कि वर्तमान याचिका स्वीकार्य नहीं है क्योंकि जेएसडब्ल्यू ने अपनी वैधानिक अपील उपायों का उपयोग नहीं किया है।
ऋणदाताओं की समिति की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत के निष्कर्ष जेएसडब्ल्यू के प्रतिकूल थे और उन्होंने अंतरिम राहत के खिलाफ आग्रह किया।
पीठ ने अंततः यथास्थिति की सीमित राहत के साथ जेएसडब्ल्यू की याचिका का निपटारा कर दिया।
पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत ने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है और अंतरिम संरक्षण केवल जटिलताओं से बचने और न्यायिक समीक्षा की पवित्रता की रक्षा के लिए दिया गया था।
जेएसडब्ल्यू स्टील ने अदालत को एक वचन दिया कि वह सीमा अवधि के भीतर अपनी समीक्षा याचिका दायर करेगी। दो मई को शीर्ष अदालत की एक अलग पीठ (न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा) ने जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना को रद्द कर दिया था। इस पीठ ने इसे दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) की धारा 30 (2) और 31 (2) का उल्लंघन माना था।
अदालत ने फैसला सुनाया कि सीओसी और एनसीएलटी दोनों ने एक ऐसी योजना को मंजूरी देने में गलती की जो अवैध और आईबीसी प्रावधानों के विपरीत थी। साथ ही अदालत ने संहिता की संबंधित धारा 33 के तहत परिसमापन शुरू करने का निर्देश दिया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *