तेज आंधी बनी काल : बुजुर्ग महिला की चद्दरों के नीचे दबकर दर्दनाक मौत

अजमेर/जिलावड़ा{ गहरी खोज } : अजमेर जिले के श्रीनगर थाना क्षेत्र के ग्राम जिलावड़ा में रविवार की रात तूफानी हवाएं एक बुजुर्ग महिला की ज़िंदगी उजाड़ गईं। जब गांव के अधिकांश लोग मौसम के मिजाज को लेकर सतर्क हो चुके थे, तब 75 वर्षीय जूही पत्नी रियाज मोहम्मद अपने घर के बाहर खाट पर आराम कर रही थीं। तेज़ आंधी ने अचानक घर की दीवार और लोहे की चद्दरें गिरा दीं, जिनके नीचे दबकर वृद्धा गंभीर रूप से घायल हो गईं। परिजनों ने उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
तेज़ आंधी जब रात के सन्नाटे को चीरती हुई जिलावड़ा गांव पर टूटी, तो कई घरों की नींद उजड़ गई। जूही बेगम, जो गर्मी के चलते कमरे के बाहर खाट पर लेटी थीं, उन्हीं पर उनका आशियाना टूट पड़ा। लोहे की चद्दरें और दीवार का मलबा उन पर आ गिरा। चीख-पुकार मची तो पड़ोसी मदद को दौड़े। सरपंच रफीक शाह और उप सरपंच बरकत बेग भी मौके पर पहुंचे और अन्य ग्रामीणों की मदद से मलबे में दबी वृद्धा को बाहर निकाला गया।
एम्बुलेंस की मदद से घायल जूही को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। शरीर पर गंभीर चोटें थीं और उन्होंने इलाज के दौरान अंतिम सांस ली।
वृद्धा की मौत के बाद गांव में शोक की लहर है। उप सरपंच बरकत बेग ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायज़ा लिया और उपखंड अधिकारी से पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता देने की मांग की है। ग्रामीणों ने भी प्रशासन से अपील की है कि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित इस परिवार को राहत राशि तुरंत मुहैया कराई जाए।
यह घटना सिर्फ एक बुजुर्ग की मौत नहीं, बल्कि प्रशासन के लिए एक चेतावनी है। गांवों में आज भी कच्चे मकान और अस्थायी छतें तेज़ आंधियों के सामने कमजोर साबित हो रही हैं। यह हादसा सवाल खड़ा करता है कि क्या ग्रामीण इलाकों में मानसून से पहले कोई सुरक्षा इंतजाम किए जा रहे हैं?
ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते गांवों में कमजोर मकानों की जांच हो, अस्थायी छतों को हटवाया जाए, और राहत-सहायता को लेकर पुख्ता इंतजाम हों, तो ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है।