जयपुर सेंट्रल जेल से इलाज के बहाने कैदियों को बाहर निकाला, 5 पुलिसकर्मी समेत 13 गिरफ्तार

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जयपुर{ गहरी खोज } : राजधानी की सेंट्रल जेल में बंद कैदियों को इलाज के बहाने बाहर निकालकर होटलों में वीआईपी ट्रीटमेंट दिलाने की एक हैरान कर देने वाली साज़िश का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने इस मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें पांच पुलिसकर्मी, चार कैदी और चार कैदियों के परिजन व साथी शामिल हैं।
DCP ईस्ट तेजस्वनी गौतम के मुताबिक, इस फरारी प्लान में जेल प्रशासन, पुलिस गार्ड, डॉक्टर और कैदियों के परिजन—all मिलकर शामिल थे। कैदियों को इलाज के बहाने सवाई मानसिंह अस्पताल (SMS Hospital) ले जाया जाता था। लेकिन अस्पताल की जगह वे होटल पहुंचते थे, जहां परिजन, महिला मित्र और साथी उनका इंतज़ार कर रहे होते थे।
इस पूरी कार्रवाई को एक ‘वीआईपी फरारी ऑपरेशन’ कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
24 अप्रैल को पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि कुछ कैदी SMS अस्पताल में इलाज के नाम पर बाहर निकलकर फरार होने की फिराक में हैं। सूचना पुख्ता लगी, तो थानाधिकारी अपनी टीम के साथ अस्पताल पहुंच गए। वहां जो सामने आया, उसने पुलिस के होश उड़ा दिए—चार कैदी रफीक उर्फ बकरी, भंवरलाल, अंकित बंसल और करण गुप्ता, चालानी गार्ड के साथ अस्पताल तो पहुंचे, पर मौके से फरार हो चुके थे।
अस्पताल के बाहर खड़ा वह वाहन मिला, जिससे कैदियों को लाया गया था। लेकिन कैदी और पुलिस गार्ड दोनों गायब!
सूचना मिलते ही जालुपुरा और एयरपोर्ट थाना पुलिस को अलर्ट किया गया। कुछ ही घंटों में रफीक और भंवरलाल को जालुपुरा थाना पुलिस और अंकित बंसल व करण गुप्ता को एयरपोर्ट थाना पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
इसके बाद बनी बन्नालाल (उप निरीक्षक) की विशेष टीम, जिसने छापेमारी कर सभी 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
इस मामले में जिन 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें पांच पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, जो चालानी गार्ड के रूप में तैनात थे। पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि ये गार्ड इलाज के नाम पर कैदियों को अस्पताल लाते थे, लेकिन उन्हें गुपचुप तरीके से होटल पहुंचा देते थे। पुलिस अब गहराई से यह जांच कर रही है कि जेल प्रशासन और डॉक्टर इस साजिश में कितने गहरे शामिल थे। क्या कैदियों को फर्जी मेडिकल रिपोर्ट्स दी जा रही थीं? क्या होटल में पहले से कमरे बुक किए जाते थे? क्या यह कोई रैकेट है जो कई महीनों से चल रहा था?

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