भारत सरकार का बड़ा कदम : बांग्लादेश से आयात पर प्रतिबंध, सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापारिक संकट

नदिया{ गहरी खोज }: भारत सरकार ने बांग्लादेश से आने वाले कई उत्पादों के आयात पर अचानक प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले से जहां सीमावर्ती इलाकों में व्यापार ठप हो गया है, वहीं बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर साफ़ देखा जा रहा है। सरकार के इस निर्णय को बांग्लादेश को “उचित सबक” सिखाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
प्रतिबंध के चलते सबसे पहले असर पश्चिम बंगाल के कोचबिहार जिले के च्यांगराबंधा स्थलबंदर और नदिया जिले के भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित चेकपोस्टों पर दिखा। च्यांगराबंधा बंदरगाह लंबे समय से भारत, बांग्लादेश और भूटान के बीच सक्रिय व्यापार का केंद्र रहा है। यहां प्रतिदिन करीब 90 ट्रक बांग्लादेश से सामान लेकर भारत और भूटान में प्रवेश करते थे। अब इस गतिविधि पर पूर्ण विराम लग गया है।
हालांकि फिलहाल प्रतिबंध केवल बांग्लादेश से आयात पर लगाया गया है, भारत से निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ा है। फिर भी स्थानीय व्यापारियों और श्रमिकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, “देश पहले, व्यापार बाद में। जो निर्णय देशहित में है, वह हमें स्वीकार है।”
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन विदेशी व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की ओर से जारी अधिसूचना में बताया गया है कि अब से बांग्लादेशी रेडीमेड कपड़े केवल कोलकाता और मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाहों के माध्यम से ही भारत में प्रवेश कर सकेंगे। इसके अलावा पूर्वोत्तर भारत के किसी भी स्थलबंदर से इन कपड़ों के आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी।
नए प्रतिबंधों की सूची में रेडीमेड कपड़ों के साथ-साथ सूती कपड़े, प्रोसेस्ड फूड, फल, प्लास्टिक उत्पाद और कुछ अन्य सामान शामिल हैं, जिनका अब असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के किसी भी सीमा शुल्क केंद्र से भारत में प्रवेश वर्जित होगा।
नदिया जिले के गेदे सीमा पर मालगाड़ियों के ज़रिए जो व्यापार होता था, वह पूरी तरह से ठप हो गया है। रोज़ाना सैकड़ों मालगाड़ियाँ बांग्लादेश के लिए माल ले जाती थीं, जो अब खाली लौट रही हैं। बीएसएफ के जवान इन गाड़ियों की सघन तलाशी ले रहे हैं।
वहीं पासपोर्ट और वीज़ा के ज़रिए जो आम नागरिकों की आवाजाही होती थी, वह भी लगभग रुक गई है। विदेशी मुद्रा विनिमय केंद्र (फॉरेक्स) भी ग्राहकों की कमी से बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं।
सीमा पर रहने वाले बुजुर्ग नागरिकों का कहना है कि बांग्लादेश ने कभी भी भारत के साथ स्थायी मित्रता नहीं निभाई। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “1971 में भारत ने उसकी आज़ादी के लिए जानें दीं, लेकिन आज बांग्लादेश पाकिस्तान के नज़दीक जाता दिख रहा है।”
भारत सरकार के इस कड़े निर्णय को लेकर आम नागरिकों का रुख भी स्पष्ट है। ज़्यादातर लोग इसे देशहित में उठाया गया जरूरी कदम मानते हैं, भले ही इससे व्यापार को तात्कालिक नुकसान हो।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंध कब तक सामान्य होंगे। लेकिन सरकार की सख्ती और नीति स्पष्ट है—देश की सुरक्षा और राजनीतिक सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।