सीबीआई करेगी विमल नेगी मौत मामले की जांच हाईकोर्ट का आदेश

शिमला{ गहरी खोज }: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विमल नेगी की मौत की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए हैं। पिछली सुनवाई में मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के आग्रह पर केंद्रीय गृह सचिव और सीबीआई को प्रतिवादी बनाने के आदेश दिए गए थे। कोर्ट ने एसीएस गृह की ओर से दायर स्टेट्स रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेने के भी आदेश दिए थे।
आज हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दे दिए हैं। विमल नेगी के परिवार की ओर से अदालत में पेश हुअ वकील ने कहा कि ‘ये फैसला बहुत अच्छा आया है। विमल नेगी की पत्नी ने हाईकोर्ट ने याचिका दायर कर रखी थी कि उनके पति की मौत की जांच अच्छे से नहीं हो रही है। इस याचिका को आज कोर्ट ने मंजूर कर लिया है और जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला सुनाया है। अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिए हैं कि जांच में सीबीआई टीम हिमाचल काडर के किसी भी ऑफिसर को शामिल नहीं करेगी। विमल नेगी की पत्नी ने संदेह जताया था कि उनके पति की मौत की जांच सही से नहीं हो रही है। विमल नेगी 10 मार्च से लापता थे। उनकी डेड बॉडी 18 मार्च को मिली थी। 19 मार्च को उनका पोस्टमार्टम हुआ। पोस्टमार्टम के मुताबिक उनकी मौत 5 दिन पहले हुई थी। विमल नेगी 10 से 13 मार्च तक कहां रहे इसकी एसआईटी ने ये जांच ही नहीं की। ये एसआईटी एसपी शिमला के नेतृत्व में काम कर रही थी।’
परिवार की ओर से अदालत में पेश हुअ वकील ने कहा कि ‘याचिका में परिवार ने भ्रष्टाचार का एंगल होने का भी संदेह जताया था। पेखुबेला सोलर प्रोजेक्ट और ठेकेदार को छूट देने का मामला भी उठाया था। ACS की रिपोर्ट में ये साबित हुआ कि सीनियर अधिकारी जिनके नाम एफआईआर में हैं उनका आचरण सही नहीं था। ACS की रिपोर्ट अब तक सामने ही नहीं आ पाई। AG ने ये रिपोर्ट आगे सरकार को भेजी लेकिन ये रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में नहीं आई। डीजीपी की एफिडेविट में प्वाइंट दिए हैं, जिससे ये साफ होता है कि जांच सही नहीं हुई है। परिवार पहले दिन से ही ये कह रहा है कि वो जांच से संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने एसआईटी पर गंभीर सवाल खड़े किेए हैं। सीबीआई को मामला जाने पर पीड़ित परिवार को ये लगा है कि उनके साथ न्याय हुआ है।’
वहीं, पिछली सुनवाई के दौरान मामले पर बहस के दौरान प्रार्थी की ओर से बताया गया था कि एसआईटी और डीजीपी की स्टेटस रिपोर्ट में विरोधाभास सामने आया है। इसलिए प्रदेश पुलिस की ओर से गठित एसआईटी की जांच संदेह के घेरे में है। प्रार्थी ने आरोप लगाया कि एसआईटी आरोपियों के आचरण की जांच की जगह विमल नेगी को मानसिक रोगी, घरेलू झगड़ों से परेशान इत्यादि साबित करने पर तुली हुई है। इसमें ये भी आरोप लगाया गया था कि एसआईटी जांच में केवल उन दस्तावेजों को जांच में शामिल कर रही है, जिन्हें सरकार चाहती है। आरोप है कि एसआईटी ने अपने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण करते हुए पेखुवाला सोलर प्रोजेक्ट में संलिप्त भ्रष्ट अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी है।