जवानी में घुटने दर्द न करें, बुढ़ापे में बदलवाने न पड़ें इसके लिए क्या-क्या सावधानियां बरतें

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: अगर आपकी उम्र 30 से 40 साल के बीच है और अभी से घुटनों में दर्द होने लगा है तो ये भविष्य में कई बीमारियों के होने का खतरा बढ़ा रहा है। ऐसे में आपको इस दर्द के होने के कारण और इनसे बचाव के बारे में पता होना चाहिए। आमतौर पर घुटनों में दर्द शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी से होता है, हालांकि इसके कई दूसरे कारण भी हो सकते हैं। जिन लोगों की हड्डियां ऑस्टियोपोरोसिस से कमज़ोर हो गई हैं, उनके घुटनों में भी दर्द हो सकता है।

मैक्स अस्पताल में आर्थोपेडिक विभाग में एसोसिएट डायरेक्टर और यूनिट प्रमुख डॉ। अखिलेश यादव बताते हैं कि अगर किसी व्यक्ति के घुटनों के पास मौजूद मेनिस्कस फट जाता है तो भी घुटनों में दर्द हो सकता है। मेनिस्कस कठोर और रबर जैसी चीज होती है जो आपकी पिंडली और जांघ की हड्डी के बीच शॉक एब्जॉर्बर का काम करती है। अगर आप अपने घुटने पर वजन डालते हुए अचानक उसे मोड़ते हैं तो यह फट सकता है। इससे घुटनों में तेज दर्द होता है जो लंबे समय तक बना रहता है।

बर्साइटिस के कारण भी घुटनों में रहता है दर्द
घुटनों में दर्द का कारण बर्सा में सूजन भी हो जाती है। यह तरल पदार्थ की छोटी थैलियाँ जो आपके घुटने के जोड़ के बाहरी हिस्से को कुशन करती हैं ताकि टेंडन और लिगामेंट जोड़ पर आसानी से फिसल सकें। इनमें हुई इंजरी से भी घुटनों में दर्द रहता है। कुछ लोगों को खेलकूद के दौरान घुटनों में पेटेलर टेंडिनाइटिस हो जाता है। टेंडिनाइटिस एक या एक से अधिक टेंडन में जलन और सूजन का कारण बनता है। स्कीयर, साइकिल चालक और कूदने वाले खेलों और गतिविधियों में शामिल लोगों को पेटेलर टेंडिनाइटिस हो सकता है। इससे घुटनों में दर्द होता है।

विटामिन डी और कैल्शियम की कमी
डॉ। अखिलेश यादव बताते हैं कि अगर आपको घुटनों में दर्द की समस्या है तो पहले अपने शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम की जांच करा लें। कई लोगों में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी के कारण भी घुटनों में दर्द रहता है। अगर ये शरीर में कम है तो डॉक्टर की सलाह पर इनके सप्लीमेंट लें और इनका कोर्स पूरा करें।

घुटनों में दर्द न हो इसके लिए क्या करें

  1. वजन कंट्रोल में रखें
  2. रोज एक्सरसाइज करें
  3. चलते समय बैठते समय सही पोश्चर में रहें।
  4. जूते अच्छी कुशनिंग वाले पहनें
  5. डाइट में एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड्स जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड, फल, और सब्जियां शामिल करें
  6. पर्याप्त आराम करें और कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें

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