एसआईटी की रिपोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस के हिंदु विरोधी चरित्र को उजागर किया : सुधांशु त्रिवेदी

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने पश्चिम बंगाल हिंसा के मुद्दे पर न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, रिपोर्ट ने सरकार की हिंदुओं के प्रति निर्ममता को उजागर कर दिया है।
मुर्शिदाबाद हिंसा को पहलगाम की तरह बताते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “वर्तमान समय में देश में जिस प्रकार से विशिष्ट तरीके की राजनीति चल रही है, वो देश की सुरक्षा और आंतरिक ताने-बाने को ध्वस्त करने के लिए किसी भी हद तक जाती हुई दिख रही है।”
सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, “कोर्ट के आदेश पर एसआईटी का गठन हुआ था। इसमें 3 सदस्य थे- एक मानवाधिकार अधिकारी और दो पश्चिम बंगाल की न्यायिक सेवा के। एसआईटी ने 11 अप्रैल 2025 को हुई घटनाओं पर अपनी रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट ने भारतीय गठबंधन और धर्मनिरपेक्षता के तथाकथित स्वयंभू नायकों का मुखौटा पूरी तरह से उतार दिया है।”
रिपोर्ट में स्पष्ट है कि वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा में तृणमूल कांग्रेस का नेता शामिल था। हिंसा में हिंदुओं को निशाना बनाया गया था और उनकी मदद के लिए पुलिस भी नहीं थी।
वहीं, नेशनल हेराल्ड मामले में पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “नेशनल हेराल्ड मामला भारत के इतिहास में एक अनोखा मामला है। सबसे पहले, इसकी शुरुआत अक्टूबर 2013 में दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका के माध्यम से हुई थी, मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले। दूसरा, यह एकमात्र ऐसा मामला है जिसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी को जमानत लेनी पड़ी थी।”
उन्होंने कहा कि ईडी के हालिया निष्कर्षों में, यह उल्लेख किया गया है कि अपराध की आय से संबंधित लगभग 142 करोड़ रुपये का उपयोग न केवल संपत्ति अर्जित करने के लिए किया गया था, बल्कि अन्य संबंधित उद्देश्यों के लिए भी किया गया था। ये ‘अन्य संबंधित उद्देश्य’ क्या हैं? यह अपने आप में एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है।

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