झारखंड शराब घोटाले में असली दोषियों को बचाने के लिए हेमंत सरकार ने एसीबी को आगे किया : बाबूलाल मरांडी

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रांची { गहरी खोज }: झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य में शराब घोटाले को लेकर एसीबी की कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने बुधवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि यह पूरी तरह ‘सरकार प्रायोजित’ जांच है और इसका उद्देश्य घोटाले के असली दोषियों को बचाना है।
उन्होंने कहा कि एसीबी ने बुधवार 20 मई को इस घोटाले की एफआईआर दर्ज की, उसी दिन आईएएस विनय चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह से पूछताछ की और उन्हें तत्काल जेल भेज दिया गया। एक ही दिन में हुई यह कार्रवाई देखकर कोई भी कह सकता है कि यह प्रायोजित प्लॉट का हिस्सा है, जिसे आनन-फानन में अंजाम दिया गया है। कहीं बड़ी मछली फंस न जाए, इसलिए हड़बड़ी में ऐसी कार्रवाई की जा रही है।
मरांडी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 2022 में सीएम हेमंत सोरेन को लिखे अपने पत्र की प्रति जारी करते हुए कहा कि उन्होंने तीन साल पहले ही राज्य में शराब घोटाले की आशंका जताई थी। मरांडी ने कहा कि हमने हर उस बात को लेकर आगाह किया था, जिसके आधार पर घोटाले का प्लॉट तैयार किए जाने की आशंका थी। सीएम ने तब संज्ञान नहीं लिया। मेरा सवाल है कि जब उनके संज्ञान में बात लाई गई थी, तो उन्होंने लूट कैसे होने दी? अब एसीबी की कार्रवाई कराकर बताना चाह रहे हैं कि हम भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करते हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड में इस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन को खुद इसकी जांच सीबीआई को सौंपने की पहल करनी चाहिए। मरांडी ने कहा कि आईएएस विनय चौबे को इसलिए जेल भेजा गया ताकि वे ईडी और सीबीआई के सामने सच न बोल दें। यह बात सबको पता है कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले में ईडी जांच कर रही है। सीबीआई को जांच सौंपी गई है। इसी बीच झारखंड में एसीबी ने जांच शुरू कर दी। इन परिस्थितियों में कहा जा सकता है कि इस घोटाले में सीएम भी शामिल हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल ने कहा कि इस शराब घोटाले में एजेंसियों और लोगों ने फर्जी दस्तावेज दिए। कोर्ट को भी गुमराह किया। मीडिया में भी खबरें आईं, इसके बाद भी वैसे लोगों पर कार्रवाई नहीं की गई। विभाग ने मामला तक दर्ज नहीं कराया।

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