हम केआईबीजी के जरिए कर रहे हैं स्पोर्ट्स क्रांति की शुरुआत: मांडविया

दीव/ नई दिल्ली { गहरी खोज } : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को खेलों की ‘परिवर्तनकारी शक्ति’ को रेखांकित करते हुए कहा कि खेलो इंडिया बीच गेम्स (केआईबीजी) भारत के खेल इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होंगे।
केंद्र शासित प्रदेश दादरा नगर हवेली और दमन एवं दीव और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) को भेजे गए अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि बीच गेम्स भारत के खेल कैलेंडर में नई लहरें पैदा करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खेलो इंडिया बीच गेम्स के लिए दीव का चयन उचित है। सूरज, रेत और समुद्र का संगम इन खेलों को एक शारीरिक चुनौती भी बनाता है और साथ ही हमारे तटीय विरासत का उत्सव भी है। जैसे-जैसे लहरें तटों से टकरा रही हैं और एथलीट प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, भारत खेलों के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखेगा।
खेलो इंडिया के लगातार बढ़ते मंच के तहत पहली बार आयोजित किए जा रहे बीच गेम्स का सोमवार को घोघला बीच ( दीव) में एक रंगारंग समारोह में खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने औपचारिक उद्घाटन किया।
इन खेलों में देशभर के 30 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 1350 से अधिक एथलीट भाग ले रहे हैं। 24 मई को समाप्त होने वाले इन खेलों में छह पदक स्पर्धाएं बीच साकर, वालीबाल, सेपक टकरा, कबड्डी, पेन्चक सिलाट और ओपन वॉटर स्विमिंग आयोजित की जाएंगी। मल्लखंभ और रस्साकशी दो डेमो खेल के रूप में शामिल किया गया है।
मांडविया ने कहा, भारत वर्ष 2047 तक एक वैश्विक खेल महाशक्ति बनने के लिए प्रतिबद्ध है। आज हम सिर्फ एक खेल आयोजन का उद्घाटन नहीं कर रहे हैं, बल्कि भारत की पहली ‘बीच स्पोर्ट्स क्रांति’ का आगाज कर रहे हैं। मेरा मानना है कि जहां लहरें हों, वहां जुनून होना चाहिए; जहां रेत हो, वहां उत्साह की आग होनी चाहिए।