अपरा एकादशी के उपवास में क्या खाएं और क्या नहीं, कैसे पूरा होगा व्रत?

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धर्म { गहरी खोज } :हिंदू धर्म में अपरा एकादशी का सबसे अधिक महत्व है। इसे अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके बड़े से बड़े पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत के पुण्य से ब्रह्महत्या, गोहत्या और परस्त्रीगमन जैसे घोर पापों से भी मुक्ति मिलती है। अपरा एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य संसार में प्रसिद्ध होता है और उसे धन, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है। यह व्रत पितरों को शांति और मुक्ति दिलाने में भी सहायक माना जाता है।

मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को विभिन्न प्रकार के यज्ञों, दान-पुण्यों और तीर्थों के दर्शन के समान पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है और मोक्ष की प्राप्ति में सहायता मिलती है। इसलिए, अपरा एकादशी एक महत्वपूर्ण व्रत है जो पापों का नाश करने, पुण्य प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाला माना जाता है।

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 मई दिन शुक्रवार को तड़के सुबह 1 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी और 23 मई को रात 10 बजकर मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत 23 मई को ही रखा जाएगा और 24 मई को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाएगा।

अपरा एकादशी उपवास में क्या खाएं।

यदि आप निर्जला व्रत (बिना पानी के उपवास) नहीं कर रहे हैं, तो आप ये चीजें खा सकते हैं।
फल: सभी प्रकार के फल जैसे केला, सेब, संतरा, अंगूर, पपीता आदि का सेवन किया जा सकता है।
दूध और डेयरी उत्पाद: दूध, दही, छाछ और पनीर (घर का बना हुआ) का सेवन किया जा सकता है।
सूखे मेवे: बादाम, किशमिश, काजू, अखरोट आदि खा सकते हैं।
जड़ वाली सब्जियां: आलू, शकरकंद, अरबी आदि का सेवन किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि इनमें सेंधा नमक का ही प्रयोग करें।
गैर-अनाज आटा: कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा और साबूदाना से बनी चीजें (जैसे खिचड़ी, वड़ा, रोटी) खा सकते हैं।
चीनी और सेंधा नमक: इनका प्रयोग सीमित मात्रा में किया जा सकता है।
पानी: यदि आप निर्जला व्रत नहीं कर रहे हैं तो पानी पी सकते हैं।
चाय और कॉफी: दूध और चीनी के बिना चाय या कॉफी का सेवन किया जा सकता है।

अपरा एकादशी उपवास में क्या नहीं खाएं

सभी प्रकार के अनाज: चावल, गेहूं, दालें (मूंग को छोड़कर), जौ, राई और इनसे बने उत्पाद जैसे रोटी, चपाती, पराठा, इडली, डोसा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्याज और लहसुन: इन्हें तामसिक भोजन माना जाता है और एकादशी के व्रत में इनका निषेध है।
मांस, मछली और अंडे: ये पूर्णतः वर्जित हैं।
शहद: कुछ लोग एकादशी के व्रत में शहद का भी त्याग करते हैं।
मसाले: गरम मसाले जैसे लाल मिर्च, धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। केवल काली मिर्च और सेंधा नमक का प्रयोग किया जा सकता है।
तेल और घी: तला हुआ भोजन नहीं करना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो सीमित मात्रा में शुद्ध घी या तेल का प्रयोग करें।
अपरा एकादशी व्रत कैसे पूरा करें
एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि की शाम से ही शुरू हो जाता है। इस दिन सूर्यास्त से पहले सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप और फल अर्पित करें। पूरे दिन निराहार रहें या फलाहार करें। मन को शांत रखें और बुरे विचारों से दूर रहें।

भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते रहें, जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”। रात्रि में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें। द्वादशी के दिन सुबह स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें। किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं या दान दें। शुभ मुहूर्त में व्रत तोड़ें (पारण करें)। आमतौर पर सूर्योदय के बाद निश्चित समय में पारण किया जाता है। व्रत तोड़ने के लिए सबसे पहले तुलसी दल और चरणामृत ग्रहण करें। उसके बाद सात्विक भोजन करें।

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