आरसीपी की पार्टी का जनसुराज में विलय

पटना{ गहरी खोज } :पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने रविवार को अपनी पार्टी आप सबकी आवाज (आसा) का जनसुराज में विलय कर दिया और बेहतर बिहार के निर्माण के लिए जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया।
श्री सिंह ने रविवार को यहां अपने समर्थकों के साथ श्री किशोर की मौजूदगी में अपनी पार्टी आसा का जनसुराज में विलय करने की घोषणा की। श्री किशोर और श्री सिंह दोनों ने अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता से मुक्त बिहार के निर्माण के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
इस अवसर पर श्री किशोर ने याद करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार उनसे जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का इस तरह विस्तार करने को कहा था कि अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह न हो। उन्होंने कहा, “जदयू अब वह पार्टी नहीं है जो कभी मुख्यमंत्री श्री कुमार के गतिशील नेतृत्व में थी क्योंकि श्री कुमार की शारीरिक और मानसिक क्षमता इतनी कम हो गई है कि वह खुद कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, जिसके बाद उनके करीबी चार मंत्रियों ने पार्टी को हाईजैक कर लिया है।”
जनसुराज के सूत्रधार ने जदयू कार्यकर्ताओं से जन सुराज में शामिल होने का आह्वान किया और कहा कि जदयू के कार्यकर्ता ईमानदार और प्रतिबद्ध हैं।
श्री सिंह ने श्री किशोर की सराहना की और याद दिलाया कि कैसे दोनों ने वर्ष 2015 में महागठबंधन की जीत और उसकी सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि महागठबंधन ने बिहार में भाजपा की जीत की लय को रोक दिया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “श्री किशोर बेहतर बिहार बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और यह उनकी पार्टी के जन सुराज में विलय के बाद जल्दी ही हासिल हो सकता है और दोनों इसके लिए मिलकर काम करेंगे।” उन्होंने कहा कि यह निश्चित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में बिहार के विकास के लिए कोई विचार नहीं है और उनका ध्यान गुजरात पर है।
श्री सिंह ने जोर देकर कहा, “प्रति व्यक्ति आय का राष्ट्रीय औसत दो लाख रुपये है जबकि बिहार में यह सिर्फ 60 हजार रुपये है और भारत के वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने के बाद भी यह अंतर बना रहेगा, जैसा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी दावा कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि उन्होंने बिहार में सोना सहित विशाल खनिज संसाधनों के दोहन के लिए मुख्यमंत्री श्री कुमार को कई सुझाव दिए थे, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) ने अपनी रिपोर्ट में बिहार में खनिजों के विशाल संसाधनों के बारे में बताया था, लेकिन नीतीश कुमार सरकार इसे दोहन करने के लिए कदम उठाने में उदासीन थी।