भारत में बढ़ी शराब की खपत

संपादकीय { गहरी खोज }: आईडब्ल्यूएसआर रिपोर्ट के अनुसार जहां दुनिया में शराब की खपत घट रही है वहीं भारत में शराब की खपत बढ़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में शराब की मांग लगातार बढ़ रही है। वहीं अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ्रांस और इटली जैसे देश शराब से दूरी बना रहे हैं। आईडब्ल्यूएसआर की रिपोर्ट के अनुसार भारत के अलावा ब्राजील और मैक्सिको में भी शराब की मांग बढ़ी है। भारत में वर्ष 2005 में प्रति व्यक्ति शराब की खपत 1.3 लीटर थी, जो 2022 में बढकर 3.1 लीटर हो गई। इसके बाद 2022-23 में इसमें 5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज हुई। रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया कि 2023-28 के बीच इसमें हर साल 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। 2024-25 में एक राज्य में शराब की बिक्री लगभग 19,730 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है, जो 2023-24 में 19,069 करोड़ रुपए थी। यानी सालाना 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारत पहले से ही दुनिया में सबसे ज्यादा व्हिस्की पीने वाला देश है। साथ ही यह सिंगल माल्ट व्हिस्की का एक बड़ा उत्पादक भी बन चुका है। 2022 में भारत का शुद्ध शराब बाजार करीब 3.1 अरब लीटर था, जिसमें 92 प्रतिशत हिस्सा डिस्टिल्ड ड्रिंक्स यानी व्हिस्की, रम, वोदका, टकीला, ब्रांडी और लिकर जैसी शराबों का था। 2016 में दुनिया में कुल शराब खपत 25.4 अरब लीटर थी, जो अब 13 प्रतिशत घट चुकी है। 2013 में प्रति व्यक्ति शराब की खपत 5 लीटर थी, जो 2023 में घटकर 3.9 लीटर रह गई है।
मजीठा शराब कांड में मरने वालों की संख्या 21 से बढ़कर 24 हो गई और अभी कई और जिन्दगी मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। रिपोर्ट अनुसार भारत में एक राज्य में शराब की औसत बिक्री 19,730 करोड़ रुपए है। इस दृष्टि से देखें तो पंजाब अभी काफी पीछे है, क्योंकि पंजाब सरकार ने इस वर्ष शराब की बिक्री से मिलने वाला राजस्व करीब 12 हजार करोड़ रुपए बताया है। जनसंख्या की दृष्टि से देखें तो पायेंगे कि पंजाब में शराब की बिक्री काफी अधिक है।
अमेरिका, चीन, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान व फ्रांस जैसे देशों में शराब की खपत घट रही है वहीं भारत में शराब की खपत बढ़ रही है, यह चिंता का विषय है। शराब की खपत बढ़ने का अर्थ है कि अपराध व बेरोजगारी बढ़ेगी और भारतीयों का स्वास्थ्य बिगड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारत के पिछड़ने की संभावना बढ़ेगी।
उपरोक्त के अलावा सबसे बडी चिंता यह है कि भारत का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। बढ़ती जनसंख्या के कारण भारत पहले ही दबाव में है। अगर भारत के नागरिकों में शराब की लत बढ़ गई तो देश के वर्तमान और भविष्य पर खतरे के बादल मंडराने शुरू हो जाएंगे। ऐसी स्थिति से बचने का एक ही उपाय है कि समाज व सरकार मिलकर प्रदेश और देश स्तर पर पंजाब में चल रहे ‘युद्ध नशेयां विरुद्ध’ की तर्ज पर अभियान चलाएं। स्कूल व मोहल्ला स्तर पर शराब के कारण होने वाली समस्याओं से लोगों को जागरूक कराएं। यह अभियान निरंतर चलना चाहिए, तभी इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। हमारी जीवनशैली में शराब इस तरह घर कर गई है कि खुशी क्या अब तो गम के समय भी शराब का उपयोग होने लगा है।
0शराब की बढ़ती खपत प्रदेशों की सरकारों की असफलता के साथ-साथ हमारे गैर सरकारी संगठनों की जो शराब विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे हैं और धार्मिक प्रचारकों की भी असफलता है। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि शराब की बढ़ती खपत अति चिंता का विषय है। समाज और सरकार को इस समस्या को अति गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। भारत एक युवा देश है, अगर भारत के युवाओं को शराब की लत लग गई तो यह भारत के भविष्य पर ही प्रश्न चिन्ह लगा देगी। परिवार, समाज व सरकार तीनों स्तर पर शराब विरुद्ध अभियान छेड़ना होगा तभी हमारा कल सुरक्षित रहेगा।