खुद को साबित किया देश के भावी कर्णधारों ने

संपादकीय { गहरी खोज }: जीवन में प्रत्येक सफलता जहां हमें आगे बढऩे की प्रेरणा देती है वहीं असफलता से हमें अपनी गलतियों से सबक लेकर खामियों को दूर कर भविष्य की चुनौतियों पर विजय पाने के लिए खुद को मुकम्मल बनाने की प्रेरणा मिलती है। सीबीएसई की परीक्षा में सफलता हासिल करने वालों के लिए यह कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता के फल का आनंद लेने और उसे संजोने का क्षण है। यह बच्चों के दृढ़ संकल्प, अनुशासन और कड़ी मेहनत का नतीजा है। यह अकेले बच्चों की ही कामयाबी नहीं है बल्कि उनके माता-पिता, शिक्षकों और अन्य सभी लोगों की भी इसमें भूमिका रही है।
सफलता के इस उत्सव में हमें उन बच्चों की तरफ भी देखना होगा जो अलग अलग कारणों के चलते इस परीक्षा में असफल रहे। उन बच्चों को हमारा यही सन्देश है कि यह समय निराश होने का नहीं है बल्कि नई शुरुआत करने का है। इस बार में अतिरंजना नहीं हो सकती कि भविष्य की सफलता आपका इन्तजार कर रही हो और अगले वर्ष सीबीएसई बोर्ड के एग्जाम में अव्वल नम्बर पर आप ही हों। नेपोलियन बोनापार्ट के शब्दकोष में असफलता जैसा कोई शब्द ही नहीं था। महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन ने कई बार बल्ब के आविष्कार में असफलता के बाद सफलता प्राप्त की। असफलता एक सीख है, और इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए । असफलता के बाद भी प्रयास करते रहने से हमें सफलता प्राप्त होती है। असफलता हमें अधिक मजबूत और दृढ़ बनाती है, जिससे हम भविष्य में अधिक दृढ़ संकल्प से और अधिक कुशलता से कार्य कर सकते हैं। बार-बार असफल होने के बाद भी प्रयास करते रहना हमें दृढ़ता और आत्मविश्वास प्रदान करता है, जो सफलता के लिए आवश्यक हैं। असफलता हमें नए रास्ते और नए अवसर खोजने के लिए प्रोत्साहित करती है।
सीबीएसई के इस वर्ष के नतीजे देश के स्कूली शिक्षा जगत के इस उत्साहपूर्ण पहलू को भी इंगित करते हैँ कि इंटरनेट, स्मार्ट टीवी और एंड्रॉइड मोबाइल के इस युग में हमारे बच्चे अपना ध्यान पढ़ाई में लगा रहे हैं, वे तेजी से पढ़ रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। देश के भावी कर्णधारों का यह रुझान राष्ट्र और हमारे समाज के सुखद भविष्य की उम्मीदे जगाता है। इस वर्ष 10वीं में 93।66 फीसदी स्टूडेंट्स पास हुए हैं जो कि पिछले साल से अधिक है। लड़कियां 95 फीसदी पास हुईं जबकि लडक़े 92।63 फीसदी पास हुए। यानि हमारी बेटियों का रिजल्ट बेटों से 2।37 फीसदी अधिक रहा। वहीं सीबीएसई 12वीं परीक्षा में 88।39 प्रतिशत विद्यार्थी पास हुए हैं। यह भी पिछले वर्ष की तुलना में 0।41 प्रतिशत अधिक है। 10वीं की तरह 12वीं में भी लड़कियों का प्रदर्शन लडक़ों से काफी बेहतर रहा। सीबीएसई 12वीं में 91 प्रतिशत छात्राएं पास हुईं हैं।
यह अच्छी बात है कि हर साल की तरह इस बार भी सीबीएसई ने टॉपरों की लिस्ट जारी नहीं की है। कुछ साल पहले सीबीएसई ने अनहेल्दी कंपीटिशन को रोकने के लिए मेरिट लिस्ट जारी करना बंद कर दिया था। बोर्ड ने सभी विद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को भी ऐसे ही निर्देश दिए हैं कि किसी भी बच्चे को स्कूल या जिले का टॉपर घोषित न करें। सीबीएसई ने यह पहल इसी मकसद से प्रारंभ की है कि कम अंक अर्जित करने वाले बच्चे डिप्रेशन में न आएं, कुंठित न हों। उनकी भविष्य की तैयारियों और कैरियर पर इस परीक्षा के नतीजे का प्रभाव न पड़े। बहरहाल, यह नतीजे जाहिर करते हैं कि देश का भविष्य सुनहरा है और आने वाला कल सुरक्षित और मज़बूत हाथों में रहेगा, यह हमारे होनहारों ने साबित कर दिया है।