बिना सर्जरी के पार्किंसन बीमारी का हुआ सफल इलाज, उत्तर भारत में पहला मामला

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: उत्तर भारत में पहली बार सर गंगाराम अस्पताल ने पार्किंसन बीमारी से होने वाले कंपन (कांपना) का बिना किसी सर्जरी के इलाज कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ये इलाज एक नई तकनीक एमआरआई गाइडेड फोकस्ड अल्ट्रासाउंड से किया गया जिसमें न तो कोई चीरा लगता है और न ही किसी तरह का इम्प्लांट डाला जाता है।
इस तकनीक से सबसे पहले एक रिटायर्ड स्कूल टीचर का इलाज किया गया है। कई सालों से उनके हाथों में इतना ज्यादा कंपन हो रहा था कि पानी पीना, खाना खाना और यहां तक कि अपना नाम लिखना भी मुश्किल हो गया था।
कई डॉक्टरों ने इलाज करने से किया इनकार
इलाज की तलाश में उन्होंने कई डॉक्टर और दवाएं आज़माईं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।जब उन्हें ब्रेन सर्जरी (डीप ब्रेन स्टिमुलेशन) का सुझाव मिला, तो वे और घबरा गईं। तभी उन्हें इस नई तकनीक के बारे में पता चला, जो अब सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली में उपलब्ध है। इस प्रक्रिया में एमआरआई के जरिए मस्तिष्क के उस हिस्से को अल्ट्रासाउंड किरणों से ठीक किया जाता है, जो कंपन पैदा करता है।
पार्किंसन बीमारी के मुख्य लक्षण क्या हैं?
पार्किंसन के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और समय के साथ गंभीर हो सकते हैं। मुख्य लक्षणों में शामिल हैं। आराम की स्थिति में हाथों, पैरों या अंगुलियों का कांपना। धीरे चलना शरीर की गति धीमी हो जाती है, जिससे रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत होती है।
- शरीर के किसी हिस्से में जकड़न या अकड़न महसूस होना।
- खड़े होने या चलने में संतुलन बिगड़ना, जिससे गिरने का खतरा बढ़ जाता है।
- चेहरे के हाव-भाव कम हो जाना या चेहरा भावशून्य दिखाई देता है।
- धीमी, अस्पष्ट या एक जैसी आवाज में बोलना। इस बीमारी में सही तरीके से मरीज बात नहीं कर पाता है।
- लेखन छोटा और टेढ़ा-मेढ़ा हो सकता है, जिसे माइक्रोग्राफिया कहा जाता है।
बिना चीरा लगे जल्द रिकवरी
इलाज के दौरान ही उनका कंपन बंद हो गया और अगली सुबह उन्होंने बिना मदद के पानी पिया, खाना खाया और अपने हाथ से अपना नाम लिखा। अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के वाइस चेयरमैन डॉ। अंशु रोहतगी ने बताया कि ये तकनीक खास तौर पर उन मरीजों के लिए कारगर है जो दवाओं से ठीक नहीं हो पाते। इसमें कोई चीरा नहीं लगता, इसलिए खतरा भी बहुत कम होता है और रिकवरी भी जल्दी होती है।