कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं: भारत

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: भारत ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत एवं पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने संबंधी बयान को मंगलवार को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित किसी भी मुद्दे को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय तरीके से हल करने की नीति है और दोनों के बीच एक ही मुद्दा लंबित है कि पाकिस्तान को अवैध रूप से कब्जाए गये भारतीय क्षेत्र को खाली करना है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यहां नियमित ब्रीफिंग में अमेरिकी राष्ट्रपति के जम्मू-कश्मीर को लेकर की गयी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कहा कि हमारा लम्बे अरसे से यही राष्ट्रीय पक्ष रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से संबंधित किसी भी मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय तरीके से ही हल करना है। इस नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जैसा कि आप जानते हैं, लंबित मामला केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्ज़ा किए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना है।
श्री जायसवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भारत की नीति किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की नहीं है।
सिंधु जल संधि को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि इस संधि की प्रस्तावना में निर्दिष्ट सद्भावना और मैत्री की जिस भावना से इस संधि को संपन्न किया गया था। हालाँकि, पाकिस्तान ने दशकों से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर इन सिद्धांतों को ताक पर रख दिया है। अब 23 अप्रैल के सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) निर्णय के अनुसार, भारत संधि को तब तक स्थगित रखेगा जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से त्याग नहीं देता। यह भी ध्यान देने योग्य हे कि जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकीय बदलाव और तकनीकी परिवर्तनों ने जमीन पर नई वास्तविकताएँ पैदा की हैं।

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