न्यायमूर्ति गवई बुधवार को लेंगे उच्चतम न्यायालय के 52वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई बुधवार (14 मई) को उच्चतम न्यायालय के 52वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में यह एक उल्लेखनीय मील का पत्थर माना जा रहा है, क्योंकि वह पूर्व मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन के बाद अनुसूचित जाति समुदाय से न्यायपालिका में शीर्ष पद पर पहुँचने वाले दूसरे व्यक्ति हैं।
उनकी मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के आज सेवानिवृत्त होने के बाद हुई है।
न्यायमूर्ति गवई को 24 मई, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। वह 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। वह प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, प्रमुख अंबेडकरवादी, पूर्व सांसद एवं कई राज्यों के राज्यपाल रह चुके आर एस गवई के पुत्र हैं।
न्यायमूर्ति गवई ने नागपुर विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी की डिग्री पूरी करने के बाद 16 मार्च, 1985 को वकालत शुरू की थी।
उन्होंने वर्ष 1987 से 1990 तक बम्बई उच्च न्यायालय में स्वतंत्र रूप से वकालत की। उन्होंने वर्ष 1990 के बाद मुख्य रूप से संवैधानिक कानून और प्रशासनिक कानून में बम्बई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में वकालत की।
न्यायमूर्ति गवई को 14 नवंबर, 2003 को उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। वह 12 नवंबर, 2005 को बम्बई उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने।
न्यायमूर्ति गवई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुंबई में मुख्य पीठ के साथ-साथ नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में सभी प्रकार के कार्यभार वाली पीठों की अध्यक्षता की।
उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता और बम्बई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (स्वर्गीय) बैरिस्टर राजा एस भोंसले के साथ वर्ष1987 तक (संक्षिप्त कार्यकाल) ने साथ अपने करियर की शुरुआत की।
वह शीर्ष अदालत में कई संवैधानिक पीठ के निर्णयों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें विमुद्रीकरण, अनुच्छेद 370, चुनावी बॉन्ड योजना और एससी/एसटी श्रेणियों के भीतर उप वर्गीकरण शामिल हैं। उन्होंने एससी/एसटी के बीच क्रीमी लेयर शुरू करने की पुरज़ोर वकालत की थी।

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