खेतों में उतरेेंगे आईसीएआर के कृषि विज्ञानी

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RAIPUR, MAY 13 (UNI):- Union Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan at a review meeting, in Raipur on Tuesday. UNI PHOTO-20U

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: ‘प्रयोगशाला से खेत तक’ के अभियान के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के कृषि विज्ञानी देशभर के विभिन्न हिस्सों में खेतों में उतरेंगे और किसानों के साथ उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर विकसित कृषि संकल्प अभियान 29 मई से शुरु हाेगा और 12 जून तक चलेगा। यह अभियान 700 से ज्यादा जिलों में चलेगा।
अभियान के अंतर्गत कृषि वैज्ञानिक एवं मंत्रालय के अधिकारी-कर्मचारी, स्थानीय कृषिकर्मियों के साथ मिलकर अलग-अलग गांवों में पहुंचकर किसानों से सीधे संवाद करेंगे तथा उन्हें खेती-किसानी के संबंध में अपने स्तर पर और जागरूक करेंगे और सलाह देंगे।
कृषि मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “लैब टू लैंड” के मंत्र को साकार करने के लिए चलाया जा रहा है। आधुनिक और आदर्श खेती के साथ ही, यह ‘एक देश, एक कृषि, एक टीम’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
पूरे अभियान के दौरान उन्नत तकनीकों, नई किस्मों और सरकारी योजनाओं के बारे में किसानों के बीच जागरूकता का प्रसार किया जाएगा और साथ ही प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। अभियान में चार-चार वैज्ञानिकों की दल, किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में सुझाई गई विभिन्न फसलों में संतुलित खादों के प्रयोग के लिए जागरूक और शिक्षित करेंगे। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र और आईसीएआर के संस्थानों और इफको आदि कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग का प्रदर्शन भी किया जाएगा।
इस अभियान में कृषि की नयी विकसित तकनीकों का भी प्रचार प्रसार होगा। इसमें धान की सीधी बुवाई,फसल विविधीकरण और सोयाबीन की फसल में मशीनीकरण जैसी उन्नत तकनीकों का प्रसार भी होगा। दन दलों में राज्य कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन विभागों, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (एनपीएसएस) से जुड़े पौध संरक्षण अधिकारियों के साथ प्रगतिशील किसान, कृषि उद्यमी, एफपीओ और एफआईजी एवं स्वयं सहायता समूहों के सदस्य भी शामिल होंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि के क्षेत्र के अनुसंधान किसानों के पास खेतों तक पहुंचना चाहिए। अभियान के जरिये किसानों में जिज्ञासा और रूचि पैदा होगी तथा वैज्ञानिक भी उत्साहित होंगे।

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