6 ऐसे श्लोक जो बच्चों को ज्ञानवान,संस्कारवान और चरित्रवान बनाने में करेंगे मदद!

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धर्म { गहरी खोज } : इस बुद्ध पूर्णिमा पर हमारा भी फर्ज बनता है कि हम अपने बच्चों को ज्ञान का अमृत चखाएं,बुद्ध के दिखाये मार्ग पर चलने की सीख दें।आज हम आपको सरल लेकिन वो गहन श्लोक बता रहे हैं जो हर एक बच्चे को सीखने ही चाहिए इन सरल और गहन श्लोकों और मंत्रों के माध्यम से अपने बच्चों को हम प्राचीन संस्कृत की शिक्षाओं से परिचित करा सकते हैं साथ ही में उन मूल्यों को स्थापित कर सकते हैं जिसमें हमारे धर्म की जड़ें हैं। इस तरीके से हम उन्हें आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बना सकते हैं और उनके चरित्र का निर्माण कर सकते हैं। आज के डिजिटल युग में बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देना भी जरूरी

पहला श्लोक
ॐ भूर्भुव: स्व:

तत्सवितुर्वरेण्यं

भर्गो देवस्य धीमहि

धियो यो न: प्रचोदयात्।

अर्थ:

हम सृष्टिकर्ता प्रार्थना करते हुए

हमारी बुद्धि को जगाने की प्रार्थना करते हैं

ताकि हम शुभ कार्यों की ओर प्रेरित हो सकें

गायत्री मंत्र हिंदू ब्राह्मणों का मूल मंत्र है।यह मंत्र सूर्य भगवान को समर्पित है। संस्कृत का यह मंत्र ऋगवेद से लिया गया है जो भृगु ऋषि को समर्पित है।

दूसरा श्लोक
त्वमेव माता च पिता त्वमेव

त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव

त्वमेव सर्वं मम देवा देवा

अर्थ:

आप मेरे माता और पिता हैं,

आप मेरे मित्र और साथी हैं,

आप मेरे लिए ज्ञान और धन

आप मेरे सब कुछ हैं

तीसरा श्लोक
ओम (ॐ) असतो मा सद्गमय।

तमसो मा ज्योतिर्गमय।

मृत्योर्मामृतं गमय ॥

ओम (ॐ) शान्ति शान्ति शान्तिः ॥

अर्थ:

यह श्लोक बृहदारण्यकोपनिषद् से लिया गया है। इसका अर्थ है कि मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो। मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो।

चौथा श्लोक
यदा यदा हि धर्मस्य

ग्लानिर् भवति भारतः

अभ्युत्थानं अधर्मस्य

तदाअत्मानं सृजाम्यहम्

अर्थ:

जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है,

मैं संतुलन बहाल करने के लिए स्वयं को प्रकट करता हूं

पांचवा श्लोक
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु

गुरु देवो महेश्वरः

गुरु साक्षात् परम ब्रह्मा

तस्मै श्री गुरवे नमः

अर्थ:

गुरु ब्रह्मा, विष्णु और शिव हैं

गुरु सर्वोच्च निरपेक्ष हैं मैं उस पूजनीय शिक्षक को नमन करता हूं।

छठा श्लोक
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः

सर्वे सन्तु निरामयाः

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु

मां कश्चिद् दुःख भाग भवेत्

अर्थ:

सभी खुश रहें, सभी स्वस्थ रहें,

सभी अच्छी चीज़ें देखें और किसी को कष्ट न हो।

इन मंत्रों के माध्यम से हम अपने बच्चों को ज्ञानवान, संस्कारवान और चरित्रवान बना सकते हैं।

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