शनि जयंती कब है? नोट कर लें सही तिथि और साढ़े साती से मुक्ति के उपाय!

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धर्म { गहरी खोज } : हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की जयंती की तरह शनि जयंती को भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। पंचांग के अनुसार हर साल जेष्ठ मास अमावस्या तिथि पर शनि जयंती मनाई जाती है। इस दिन कर्मफल दाता शनि देव की पूजा करने का विधान है। साथ ही इस दिन दान-पुण्य करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके अलावा यह दिन शनि दोष और साढ़े साती से गुजर रहे लोगों के लिए खास महत्व रखता है। कहते हैं शनि जयंती पर किए गए कुछ खास उपायों शनि देव जल्द प्रसन्न होते हैं।

शनि जयंती कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 27 मई को रात्रि 8 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में शनि जयंती मंगलवार, 27 मई को मनाई जाएगी।

शनि जयंती के उपाय
शनि जयंती के दिन दान-पुण्य करना शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को काले तिल, काली उड़द, काले वस्त्र, लोहे का सामान, स्टील के बर्तन, कंबल आदि दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनि जयंती के दिन मंदिर जाकर शनि देव की पूजा करें। साथ ही किसी लोहे या स्टील के बर्तन में सरसों का तेल बरकर अपनी छवि देखें। फिर वह तेल किसी गरीब को दान में दें। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
शनि जयंती के दिन सुबह और शाम को 108 बार ‘ऊँ शं शनैश्चाराय नमः’ का जाप करें। साथ ही इस दिन कुत्ते, कौवे, गाय, दिव्यांग, रोगी आदि के साथ भोजन ही करवाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती है।
शनि के महा दशा से छुटकारा पाने के लिए शनि जयंती के दिन चीटियों के काले तिल, आटे में शक्कर मिलाकर खिलाएं। यह उपाय अगले सात शनिवार तक करें। साथ ही काली उड़द की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं। मान्यता है कि इससे शनि की महादशा से छुटकारा मिलता है और कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।

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