कैप्टिव और कमर्शियल खदानों से कोयला उत्पादन अप्रैल में 14.01 मिलियन टन रहा

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नई दिल्ली, { गहरी खोज }: कैप्टिव और कमर्शियल खदानों से कोयला उत्पादन अप्रैल में 14.01 मिलियन टन (एमटी) रहा है। वहीं, कोयला डिस्पैच 16.81 एमटी तक पहुंच गया है। सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए डेटा में यह जानकारी दी गई। यह आंकड़े दिखाते हैं कि देश में कोयला उत्पादन मजबूत बना हुआ है और बिजली उत्पादन के लिए थर्मल पावर प्लांट को आसानी से कोयला मिल रहा है।
कोयला मंत्रालय ने इस सफलता का श्रेय नीतिगत हस्तक्षेप, गहन निगरानी, परिचालन मंजूरी में तेजी लाने और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए पक्षकारों के सहयोग को दिया। इस उपलब्धि में प्रमुख योगदान नए कोयला ब्लॉकों का है। सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के कोटरे बसंतपुर पचमो ब्लॉक से 15 अप्रैल, 2025 को परिचालन शुरू हो गया है।इसकी पीक रेटेड क्षमता (पीआरसी) 5 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (ओपनकास्ट) है। सिंगारेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) के नैनी कोयला ब्लॉक ने 16 अप्रैल को परिचालन शुरू किया है। इसकी पीआरसी 10 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (ओपनकास्ट) है।
इस साल अप्रैल के दौरान भारत में कुल कोयला उत्पादन 81.57 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में उत्पादित 78.71 एमटी से 3.63 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2025-26 में अप्रैल के दौरान भारत का कुल कोल डिस्पैच 86.64 मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो अप्रैल 2024 के दौरान दर्ज 85.11 मीट्रिक टन से लगातार वृद्धि दर्शाता है। 30 अप्रैल तक कोयला कंपनियों के पास स्टॉक तेजी से बढ़ा है, जो वित्त वर्ष 2025-26 में 125.76 मिलियन टन तक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 102.41 मिलियन टन था। घरेलू उत्पादन में वृद्धि के कारण भारत का कोयला आयात अप्रैल से दिसंबर 2024 के दौरान 183.42 मिलियन टन रह गया, जो कि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 200.19 मिलियन टन से 8.4 प्रतिशत घटा है। मंत्रालय ने कहा कि कोयले के आयात में कमी के कारण देश को लगभग 5.43 बिलियन डॉलर (42,315.7 करोड़ रुपए) की विदेशी मुद्रा की बचत हुई।

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