दुश्मनों से निपटने के क्या हैं उपाय? जानें युद्ध को लेकर क्या कहती है चाणक्य नीति
 
                धर्म { गहरी खोज } : चाणक्य की नीति के बारे में कौन नहीं जानता। चाणक्य राज्य से संबंधित नीति, शासन-प्रशासन के कुशल संचालन के लिए नई दृष्टि से सोचते थे। चाणक्य ने सिकंदर की युद्ध नीति का गहन अध्ययन किया था। चाणक्य भारतीय कूटनीतिज्ञ और रणनीतिकार थे। चाणक्य का असली नाम कौटिल्य था। चाणक्य के नीति, विचार,बुद्धिमानी, कूटनीति और योजना शक्ति आज भी लोगों के लिए जानने का विषय है।
चाणक्य केवल शारीरिक बल, सैन्य शक्ति पर बल नहीं देते थे वो रणनीति, कूटनीति, योजना सभी को मिलाकर युद्ध की रणनीति तय करते थे। यही कारण है कि चाणक्य की नीतियों और विचारों का लोग आज विज्ञान अध्ययन करते हैं और उनसे मार्गदर्शन लेते हैं। तो चलिए जानते हैं कि युद्ध के संबंध में क्या कहती है चाणक्य नीति।
शत्रु को कम ना आंके
कभी भी अपने शत्रु को हल्के में नहीं लेना चाहिए और ना ही उसे कमजोर समझने की गलती करनी चाहिए। अपने शत्रु के बारे में आपको हर एक बात, हर ताकत और हर कमजोरी पता होनी चाहिए। जिससे उसे आसानी से परास्त किया जा सके।
शत्रु की हर गतिविधि पर नजर
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कभी भी अपने शत्रु की गतिविधियों को अनदेखा ना करें और हमेशा शत्रु पर अपनी नजर बनाए रखें।
शत्रु को बुद्धि से परास्त करो
अगर आपका शत्रु बलशाली है और ये बात आप जानते हैं तो उसे बुद्धि से परास्त करना चाहिए। अगर शत्रु आपसे अधिक बलशाली है तो कुछ समय की तैयारी के बाद में उसे जवाब देना उचित है।
सही समय का इंतजार करें
चाणक्य के अनुसार शत्रु की कमजोरी का सही समय पर फायदा उठाना चाहिए। युद्ध से पहले धैर्य रखना चाहिए।
साम, दाम, दंड और भेद की नीति
चाणक्य कहते हैं कि युद्ध से पहले ये चार तरीके अपनाए जाने चाहिए
“साम”– बातचीत और शांति से समझाना
“दाम”– लोभ से शत्रु को पक्ष में करना
“दंड”– सजा देना यानि शक्ति प्रयोग
“भेद”– शत्रु के बीच फूट डालना
युद्ध अंतिम विकल्प
चाणक्य का मानना था कि युद्ध हमेशा अंतिम विकल्प होना चाहिए। जब शांति, कूटनीति, बातचीत से काम ना चलें तब युद्ध ही अंतिम रास्ता होना चाहिए।

 
                         
                       
                      