500-500 के नोटों की जाली दुनिया : जोधपुर में नकली करेंसी गैंग का भंडाफोड़

0
321-77-1745993481-718805-khaskhabar

जोधपुर{ गहरी खोज }: जोधपुर की मंडोर मंडी में पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो 500-500 के नकली नोटों की गड्डियों से बाजार को ठगने का काम कर रहा था। इस ऑपरेशन में पुलिस के हाथ लगे हैं 7.50 लाख रुपए के जाली नोट और दो ऐसे शातिर दिमाग, जो दो लाख में 10 लाख की नकली करेंसी बाजार में उतारने की फिराक में थे।
इस गिरोह ने अपराध की नींव एक किराए के कमरे में रखी थी, जो मंडी की एक दुकान के ऊपर बना हुआ था। यहां रंगीन प्रिंटर, स्कैनर, पेपर कटिंग मशीन और कंप्यूटर सिस्टम के सहारे जालसाज नकली करेंसी छाप रहे थे। इतने पेशेवर तरीके से नकली नोट तैयार किए गए कि पहली नजर में असली और नकली में फर्क कर पाना मुश्किल था।
गैंग का मॉडल सिंपल था लेकिन खतरनाक—2 लाख रुपए दो और बदले में 10 लाख की नकली करेंसी ले जाओ। यानी 500-500 के नोटों से भरे बैग, जिनकी कीमत सिर्फ कागज़ थी, लेकिन ये बाजार में चलाकर असली नोटों की जगह ले रहे थे। अंदेशा है कि ये गैंग बड़े व्यापारियों और नकद लेन-देन करने वालों को निशाना बना रही थी।
पुलिस ने नागौर जिले के दो बदमाशों—श्रवण व्यास (28) और बाबूलाल प्रजापत (40)—को रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। दोनों मंडी के पास किराए पर कमरा लेकर यह धंधा चला रहे थे। पुलिस ने इनके कब्जे से नकली नोटों के साथ-साथ नकली नोट छापने की पूरी मशीनरी जब्त की है।
बालसमंद में भी दूसरा ठिकाना
पूछताछ के दौरान आरोपियों ने खुलासा किया कि बालसमंद क्षेत्र की मगजी की घाटी में भी उनका एक ठिकाना है। पुलिस ने तुरंत वहां दबिश दी और वहां से भी सबूत जुटाए। फिलहाल पुलिस इस बात की तहकीकात कर रही है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल हैं और अब तक कितने नकली नोट बाजार में चला दिए गए हैं।
डीसीपी आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि लंबे समय से मंडोर मंडी और आसपास के गांवों में नकली नोट चलने की खबरें मिल रही थीं। डीएसटी (ईस्ट) प्रभारी श्यामसिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई गई, जिसमें साइबर एक्सपर्ट्स को भी शामिल किया गया। तकनीकी निगरानी, मुखबिरों की सूचना और ग्राउंड इंटेलिजेंस के आधार पर कार्रवाई की गई।
शुरुआत है, अंत नहीं…
गिरोह का यह खुलासा सिर्फ शुरुआत है। पुलिस को आशंका है कि इस नेटवर्क की जड़ें और भी गहरी हैं। जांच की अगली कड़ी में यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस फर्जी करेंसी को किन-किन रास्तों से बाजार में पहुंचाया जा रहा था। बाजार में चल रही जाली करेंसी न केवल अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि समाज में नकदी पर आधारित लेनदेन की विश्वसनीयता को भी चोट पहुंचा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *