कृष्णा आंगन में फ्लैट का कब्जा और देरी के लिए ब्याज देने के आदेश

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जयपुर{ गहरी खोज }: राजस्थान भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बिल्डर नियो ड्रीम होम्ज प्राइवेट लिमिटेड को खरीदार सुगना बाछलसा को उनके फ्लैट का कब्जा सौंपने और विलंब अवधि के लिए भारी ब्याज चुकाने का सख्त आदेश दिया है।
रेरा चेयरपर्सन वीनू गुप्ता ने ‘कृष्णा आंगन’ परियोजना में इकाई संख्या 306 की बुकिंग से संबंधित शिकायत पर यह फैसला सुनाया। शिकायतकर्ता ने फ्लैट के लिए 40 लाख रुपए में बुकिंग की थी और बिल्डर को 45,93,900 रुपए का भुगतान किया था। दोनों पक्षों के बीच 31 मई 2018 को हुए समझौते के अनुसार, कब्जे की अनुमानित तिथि 30 जून 2019 थी। हालांकि, बिल्डर ने आंशिक भुगतान के बावजूद कब्जा नहीं सौंपा, जिसके कारण खरीदार को रेरा का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
बचाव में, बिल्डर के वकील ने देरी के लिए अप्रत्याशित कारणों का हवाला दिया, जिसमें खनन पर सुप्रीम कोर्ट का प्रतिबंध, ग्राहकों द्वारा समय पर भुगतान में विफलता और कोविड-19 महामारी शामिल थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि खरीदार ने केवल 17,11,740 रुपये का भुगतान किया है और 28,24,510 रुपये बकाया हैं, इसलिए विलंब ब्याज नहीं लगाया जाना चाहिए। हालांकि, रेरा ने बिल्डर के इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया।
प्राधिकरण ने स्पष्ट रूप से कहा कि नियो ड्रीम होम्ज प्राइवेट लिमिटेड ने मेसर्स पार्थ होम के स्थान पर परियोजना की जिम्मेदारी ली है, इसलिए पार्थ होम के साथ किए गए सभी लेनदेन नियो ड्रीम के साथ ही माने जाएंगे। रेरा ने धारा 15 का हवाला देते हुए कहा कि नए प्रमोटर को पुराने प्रमोटर की सभी लंबित obligations को पूरा करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खरीदार ने 45,93,900 रुपये के भुगतान के रसीदें पेश कीं, जिन्हें बिल्डर ने जाली या झूठा होने के आधार पर चुनौती नहीं दी। इसके विपरीत, बिल्डर केवल कम भुगतान का दावा करता रहा।
रेरा ने इस विरोधाभास को गंभीरता से लिया। अंततः, रेरा ने बिल्डर को खरीदार को फ्लैट का कब्जा सौंपने का आदेश दिया, साथ ही कब्जे की अनुमानित तिथि (30 जून 2019) से लेकर कब्जा प्रमाण पत्र प्राप्त होने तक 11.10% प्रति वर्ष की दर से विलंब ब्याज चुकाने का भी निर्देश दिया। यह ब्याज मोरेटोरियम अवधि को छोड़कर गणना की जाएगी।

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