आईजीएनसीए में ‘पाण्डुलिपि एवं समीक्षित पाठ-सम्पादन’ पुस्तक का लोकार्पण एवं परिचर्चा

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज } : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के कलानिधि विभाग की ओर से शुक्रवार को सुप्रसिद्ध विद्वान प्रो. वसन्तकुमार म. भट्ट द्वारा लिखित पुस्तक ‘पाण्डुलिपि एवं समीक्षित पाठ-सम्पादन (अभिनव परम्पराओं के साथ)’ का लोकार्पण एवं परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया।
दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रमेश चन्द्र भारद्वाज उपस्थित रहे।
इस अवसर पर प्रो. भट्ट के साथ-साथ कलानिधि प्रभाग के अध्यक्ष एवं डीन (प्रशासन) प्रो. रमेश चन्द्र गौड़, पुस्तक के सह-सम्पादक डॉ. कीर्तिकांत शर्मा तथा श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के शोध विभागाध्यक्ष प्रो. शिव शंकर मिश्र ने भी विचार व्यक्त किए। डॉ. जोशी ने कहा, “पांडुलिपियां अभिलेख ही नहीं, बल्कि सभ्यतागत ज्ञान का जीवंत भंडार हैं।” कार्यक्रम में कई शिक्षाविद, शोधार्थी, संस्कृत विद्वान तथा कला एवं संस्कृति क्षेत्र से जुड़े अतिथिगण उपस्थित थे।

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