युद्ध नहीं चाहते, कश्मीर में सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत; भाजपा ने दिया करारा जवाब :सीएम सिद्धारमैया

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बेंगलुरु{ गहरी खोज }: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश भर में तनाव का माहौल है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे। इस मुद्दे पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार को बयान दिया, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के साथ युद्ध का विरोध किया और कहा कि कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाना चाहिए।
बेंगलुरु में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, “इस हमले में सुरक्षा की चूक हुई है। हम युद्ध के पक्ष में नहीं हैं। हमें कश्मीर में शांति कायम करनी चाहिए और वहां सुरक्षा को और मजबूत करने की जरूरत है।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार राज्य में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों की जानकारी जुटाकर उन्हें वापस भेजने के लिए कदम उठाएगी।
सिद्धारमैया के इस बयान पर कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि “मुख्यमंत्री को नहीं मालूम कि कब और क्या बोलना है। यह हमला पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा है, जो भारत की संप्रभुता के लिए सीधी चुनौती है।” अशोक ने आगे कहा कि ऐसे समय में पूरे देश को एकजुट होकर केंद्र सरकार के फैसलों का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही सभी राजनीतिक दलों को साथ लेकर एक सर्वदलीय बैठक कर चुकी है, जिसमें कांग्रेस समेत सभी पार्टियों ने केंद्र का समर्थन किया है।
विपक्षी नेता ने सिद्धारमैया से सवाल किया कि पहले वे राज्य में मौजूद बांग्लादेशी, रोहिंग्या और पाकिस्तानी घुसपैठियों की पहचान करें और उन्हें बाहर निकालें। उन्होंने चेतावनी दी कि “ऐसे मामलों में अनावश्यक टिप्पणी करके अपनी नाक न घुसाएं।”
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन मैदान में आतंकियों ने हमला किया, जिसमें 25 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक की मौत हो गई थी। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया।
भारत सरकार ने इस आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। सरकार ने सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। यह फैसला 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक में लिया गया, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी शामिल थे।

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