वट पूर्णिमा के दिन जरूर करें ये खास उपाय, सुखी रहेगी जीवन!

धर्म { गहरी खोज } :हिंदू धर्म में हर त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वट पूर्णिमा का व्रत रखने से दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है। इसके साथ ही आपके पति को दीर्घायु का आशीर्वाद भी मिलता है। पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत हर साल जेठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस व्रत के कुछ विशेष नियम हैं जो वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं इन सभी नियमों का पालन करती हैं और भक्ति भाव से पूजा करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
वैदिक कैलेंडर के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12:11 बजे शुरू होगी और 27 मई को सुबह 8:31 बजे समाप्त होगी। उदय तिथि के अनुसार इस बार वट सावित्री व्रत 26 मई को मनाया जाएगा। यदि आपके वैवाहिक जीवन में बाधाएं आ रही हैं तो वट पूर्णिमा का व्रत रखना लाभकारी होता है। इस दिन व्रत रखने और सही तरीके से पूजा करने से जीवन की सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
वट पार्निमा व्रत के दौरान क्या न करें?
सनातन धर्म में किसी भी व्रत के दौरान गलत कार्यों से बचना चाहिए। व्रत हमेशा वचन और कर्म की शुद्धता के साथ रखना चाहिए, तभी इसका पूरा लाभ मिलेगा, इसलिए किसी के प्रति घृणा या द्वेष न रखें। वट सावित्री व्रत के दिन व्रती महिलाओं को अपने श्रृंगार या कपड़ों में काले, नीले और सफेद रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए, इन रंगों की चूड़ियाँ, साड़ी, बिंदी आदि का प्रयोग न करें। झूठ न बोलें, किसी का अपमान न करें, या किसी भी नकारात्मक विचार को अपने मन में न आने दें। पूरे दिन शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें। पूजा-अर्चना किए बिना अपना व्रत न तोड़ें। इसके अलावा वट सावित्री व्रत के दिन तामसिक चीजों से भी बचें।
वट पूर्णिमा व्रत के दिन क्या करें?
- वट पूर्णिमा व्रत अखंड सौभाग्य के लिए है; इसलिए व्रत करने वाले व्यक्ति को सभी सोलह अलंकारों का पालन करना चाहिए। उपवास से पहले इसकी व्यवस्था कर लें।
- वट पूर्णिमा व्रत रखने वाली महिलाओं को लाल, पीले और हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इन रंगों को शुभ माना जाता है। जैसे लाल या पीली साड़ी, हरी चूड़ियां, लाल बिंदी, मेहंदी आदि।
- वट पूर्णिमा व्रत के दौरान बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान बरगद के पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा सात बार लपेटा जाता है। धागे को पेड़ के चारों ओर 7 बार लपेटा जाता है। भीगे हुए चने खाने से यह व्रत टूट जाता है।
- पूजा समाप्त होने के बाद लोग सुखी वैवाहिक जीवन के लिए देवी सावित्री और बरगद के पेड़ का आशीर्वाद लेते हैं। साथ ही पूजा करते समय वट सावित्री व्रत कथा यानि सावित्री और सत्यवान की कहानी भी सुननी चाहिए।