नारी शक्ति की जीवंत मिसाल हैं अहिल्याबाई होल्कर: रेखा गुप्ता

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को एक समाज सुधारक, आध्यात्मिक दृष्टि से प्रेरित प्रशासक और भारतीय नारी शक्ति की जीवंत मिसाल बताते हुए शुक्रवार को कहा कि जब महिलाएं समृद्ध होती हैं तब दुनिया समृद्ध होती है।
श्रीमती गुप्ता ने आज यहां कहा कि इस कथन को चरितार्थ करते हुए दिल्ली सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर, समृद्ध और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह बात डॉ. अदिति नारायण द्वारा लिखित और वाणी प्रकाशन की ओर से प्रकाशित पुस्तक शी द किंग: राइज ऑफ लोकमाता अहित्याबाई होल्कर के लोकार्पण के मौके पर कहीं। इस कार्यक्रम में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मीरा कुमार और प्रसिद्ध कवि डॉ. कुमार विश्वास भी उपस्थित थे।
श्रीमती गुप्ता ने कहा, “लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर एक रानी ही नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक, एक आध्यात्मिक दृष्टि से प्रेरित प्रशासक और भारतीय नारी शक्ति की जीवंत मिसाल हैं।जब महिलाएं समृद्ध होती हैं, तो दुनिया समृद्ध होती है।” उन्होंने कहा कि इस कथन को चरितार्थ करते हुए दिल्ली सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर, समृद्ध और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने कहा, “डॉ. अदिति नाराण को साधुवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने अहिल्याबाई जी के अद्भुत जीवन और योगदान को शब्दों में उतारकर हम सबको समृद्ध किया।”
श्रीमती मीरा कुमार कहा कि लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर एक आदर्श शासक थीं और उन्हें केवल भारत की सीमा में बांध कर नहीं रखा जा सकता है, क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर की शासक थीं। उन्होंने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर जिस तरह के आदर्श स्थापित किये हैं, वो अनुकरणीय हैं। उन्होंने कहा, “एक दलित परिवार में जन्म लेने और महिला होने के बावजूद जिस तरह के काम उन्होंने किये हैं, वो अनुकरणीय है। बात चाहे मंदिरों का जीर्णोधार करवाने की हो या वास्तु कला की, उन्होंने हर क्षेत्र में असाधारण कार्य किया है।”
इस मौके पर उनके भाषण में एक दलित होने का दर्द झलका। उन्होंने कहा, “मेरे बाबूजी जगजीवन राम वाराणसी में एक मूर्ति का अनावरण करने गए थे। उन्होंने मूर्ति का अनावरण तो कर दिया, लेकिन वहां के लोगों ने इसका विरोध किया। उन लोगों ने कहा यह अछूत है और इसके छूने की वजह से मूर्ति अपवित्र हो गई है। इसके बाद उन लोगों ने गंगाजल से मूर्ति को धुलवाया।”
उन्होंने कहा, “देश में मौजूदा समय में भी महिलाओं की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। कुछ गिनी-चुनी महिलाएं ही आपको अहम पदों पर दिखाई देंगी, लेकिन आज से करीब तीन सौ साल पहल जिस तरह से लोकमाता अहित्याबाई होल्कर ने सघर्षों का सामना करते हुए दूरदर्शिता का परिचय दिया और न्यायप्रिय शासन स्थापित किये वह बहुत ही मुश्किल था, इसके लिए मैं उन्हें सिर्फ भारत के लिए ही एक आदर्श शासक नहीं कहूंगीं। मैं उन्हें किसी सीमा में नहीं बाद सकती हूं, क्योंकि वह एक अंतरराष्ट्रीय शासक थीं।”