हिन्दू पर्यटकों की हत्या के बाद

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संपादकीय { गहरी खोज } : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में दिन दिहाड़े जिस तरह नाम पूछकर और धर्म जानने के बाद हिन्दू पर्यटकों की इस्लाम में विश्वास रखने वाले आतंकवादियों द्वारा निर्मम हत्या की गई उससे सारे देश में शोक और रोष है। आतंकियों के हाथों मारे गए उन लोगों को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों की संख्या में जो लोग उमड़े उनमें आतंकवादियों प्रति गुस्सा स्पष्ट दिखाई दे रहा था। जम्मू-कश्मीर सहित देश के विभिन्न भागों में बंद और विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी है। देश व दुनिया में पाकिस्तान द्वारा समर्थित व संरक्षित आतंकवादियों द्वारा किए गए अमानवीय व घिनौने हत्याकांड की आलोचना हो रही है।

भारत सरकार ने आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान विरुद्ध सख्त कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने संवाददाताओं को फैसलों से अवगत कराते हुए कहा कि 1960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित की जाती है, जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपना समर्थन बंद नहीं कर देता, यह फैसला लागू रहेगा। मिस्त्री ने बताया कि अटारी एकीकृत जांच चौकी को भी तत्काल प्रभाव से बंद किया जा रहा है। उनके अनुसार, यह फैसला भी किया गया है कि पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित (पर्सोना नॉन ग्राटा) घोषित किया गया है तथा उनसे एक सप्ताह के भीतर भारत छोडने के लिए कहा गया है। सरकार ने यह भी तय किया है कि इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा/नौसेना/वायु सलाहकारों को वापस बुलाया जाएगा। सीसीएस के फैसले के मुताबिक, पाकिस्तानी नागरिकों को दक्षेस वीजा छूट योजना (एसवीईएस) वीजा के तहत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पाकिस्तानी नागरिकों को अतीत में जारी किए गए किसी भी एसवीईएस वीजा को रद्द माना जाएगा। एसवीईएस वीजा के तहत वर्तमान में भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पास भारत छोडने के लिए 48 घंटे हैं। भारत और पाकिस्तान के उच्चायोग से जुड़े कर्मियों की संख्या वर्तमान 55 से घटाकर 30 की जाएगी। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सभी बलों को उच्च सतर्कता बरतने का निर्देश दिया। पूर्व गृहमंत्री चिदंबरम ने एक्स पोस्ट किया, ‘यह निर्दोष पर्यटकों के खिलाफ किया गया कायरतापूर्ण कृत्य है। मैं सरकार से अपने आतंकवाद विरोधी अभियानों को तेज करने का आग्रह करता हूं। चिदंबरम ने कहा कि सरकार को लोगों और विशेषकर पर्यटकों को आश्वस्त करना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में पहुंचने वाले पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।’

पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर जाने वाले पर्यटकों ने सुरक्षा कारणों से बड़े पैमाने पर बुकिंग रद्द करवा दी है। ट्रैवल एजेंसियों का कहना है कि 90 फीसद बुकिंग रद्द करा दी गई है। वहीं देशभर में 15 हजार से ज्यादा एयर टिकट कैंसिल या रीशेड्यूल कराए गए हैं। डोमेस्टिक एयरलाइंस को देश भर से करीब 15 हजार यात्रियों ने टिकट कैंसिल कराने अथवा रिशेड्यूल कराने का अनुरोध किया है। वहीं डीजीसीए ने भी हालात के मद्देनजर विमान कंपनियों को किराया न बढ़ाने के सख्त निर्देश दिए हैं। एयरपोर्ट अधिकारियों के अनुसार देश भर से करीब 60 से 70 हजार लोग हर हफ्ते श्रीनगर जाते हैं। मगर, पहलगाम हमले के बाद इस संख्या में कमी आई है। 15 दिन तक यही स्थिति रहने की आशंका है। एयरपोर्ट सूत्रों की मानें तो अधिकतर यात्रियों के अनुरोध फ्लाइट को आगे की डेट में रिशेड्यूल करने के लिए आए हैं। इंडिगो को लगभग 7,500 टिकटों को रिशेड्यूल या कैंसिल करने के अनुरोध मिले हैं। एयर इंडिया समूह के तहत संचालित एयरलाइनों को लगभग 5,000 टिकटों को रिशेड्यूल करने के अनुरोध मिले वहीं स्पाइसजेट को लगभग 2,500 टिकटों के लिए अनुरोध मिले हैं।

यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी. वेस भारत आये हुए हैं। अतीत में जाएं तो पायेंगे कि ऐसे हमले पहले भी हो चुके हैं। 20 मार्च 2000 की रात को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले के चिट्टी सिंहपोरा गांव में 36 सिख ट्रक ड्राइवरों और ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया था। यह भीषण हमला अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की 21-25 मार्च की यात्रा से ठीक पहले हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने क्लिंटन के समक्ष पाकिस्तान की संलिप्तता का मुद्दा उठाया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2 साल बाद, जब दक्षिण एशियाई मामलों के लिए अमरीकी सहायक विदेश मंत्री क्रिस्टीना बी रोका भारत की यात्रा पर थीं, तब 14 मई, 2002 को जम्मू-कश्मीर के कालूचक के पास एक आतंकवादी हमला हुआ। 3 आतंकवादियों ने मनाली से जम्मू जा रही हिमाचल सड़क परिवहन निगम की बस पर हमला किया और 7 लोगों की हत्या कर दी। इसके बाद वे सेना के पारिवारिक क्वार्टर में घुस गए और अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 10 बच्चों, आठ महिलाओं और पांच सैन्यकर्मियों सहित 23 लोग मारे गए। मारे गए बच्चों की उम्र चार से 10 साल के बीच थी। हमले में 34 लोग घायल हुए। आतंकवादी पिछले करीब चार दशकों से इस्लाम के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्याएं करते चले आ रहे हैं। भारत प्रतिक्रियास्वरूप कदम उठाते हुए कुछ आतंकवादियों को घेर कर मार देता है और यह सिलसिला भी दशकों से चला आ रहा है। लेकिन पहलगाम की बैसरन घाटी में जिस तरह धर्म पूछकर हिन्दू पर्यटकों की हत्या की गई है, यह अपने आप में एक गंभीर मुद्दा है। भारत सरकार ने मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए ही पाकिस्तान विरुद्ध कूटनीतिक कदम उठाए हैं, जिनका प्रभाव अगले कुछ समय में स्पष्ट दिखाई देगा, विशेषतया सिंधु जल समझौते के स्थगित होने के साथ पाकिस्तान पंजाब की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा जाने की पूरी संभावना है।

मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदम समय की मांग के अनुसार ही है लेकिन भारत सरकार को ध्यान में रखना होगा कि अब समय आ गया है कि सैन्य कार्रवाई करने का, जब तक पाकिस्तान वासियों के घरों में भी लाशें नहीं पहुंचेंगी तब तक यह खूनी खेल बंद होने वाला नहीं।

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