वैशाख मासिक शिवरात्रि पर इस खास पूजा विधि से करें भोलेनाथ को प्रसन्न, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की पूरी जानकारी!

धर्म { गहरी खोज } : हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है। मासिक शिवारात्रि का दिन बहुत ही पवित्र और शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने वालों के सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके अलावा कहते हैं कि जो भी कुंवारी कन्या मासिक शिवरात्रि का व्रत करती हैं, तो उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
वैशाख मासिक शिवरात्रि के मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, वैशाख मासिक शिवरात्रि के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 3 मिनट से लेकर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भक्त भगवान शिव की विधि- विधान से पूजा कर सकते हैं।
मासिक शिवरात्रि पूजा सामग्री
मासिक शिवरात्रि की पूजा के लिए गंगा जल, पंच रस, इंत्र, गंध, रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान, बेलपत्र, धतुरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ का बालें, गाय का दूध, ईख का रस, चंदन, कपूर, धून, दिया, चंदन, पुष्प, पंच फल, पंच मेवा, दही, घी और शहद। इसके अलावा माता पार्वती की लिए श्रृंगार की वस्तुएं चूड़ी, बिंदी, चुनरी, सिंदूर की आवश्यकता होगी।
मासिक शिवरात्रि पूजा की विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत तथा पूजन का संकल्प लें। रात को शुभ मुहूर्त में मासिक शिवरात्रि की पूजा करें। शिवलिंग का पहले साफ पानी से फिर दूध से और बाद में पुन: साफ जल से अभिषेक करें। इसके बाद फूल चढ़ाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली, बिल्व पत्र, धतूरा आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। रात में अन्य प्रहर में भी इसी तरह शिवलिंग की पूजा करें और भोग लगाकर आरती करें।
भगवान शिव को लगाएं इन चीजों का भोग
मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूजा में उनकी प्रिय चीजें अर्पित करनी चाहिए। मासिक शिवरात्रि के दिन मौसमी फल, मालपुआ, ठंडाई और लस्सी विशेष रूप से शामिल होते हैं।
मासिक शिवरात्रि पूजा मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
ॐ नमो भगवते रुद्राय
ॐ सांब सदाशिव नमो नमः
ऊं पषुप्ताय नमः
मासिक शिवरात्रि का महत्व
मासिक शिवरात्रि को भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए इस रात को सबसे शक्तिशाली माना जाता है, क्योंकि यह शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा और संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है, जो भक्तों को अपने मन और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर प्रदान करती है।