वैशाख अमावस्या पर करें इन खास मंत्रों का जाप…पितरों का मिलेगा आशीर्वाद, घर आएगी सुख-समृद्धि!

धर्म { गहरी खोज } : पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या कहा जाता है, हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन पवित्र नदियों में स्नान के साथ पितरों का तर्पण तथा पिंडदान के लिए अच्छा मान जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी, चंद्रमा, सूर्य और पितृ देव की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन पूजा के दौरान कुछ खास मंत्रों का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
वैशाख अमावस्या कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 27 अप्रैल को सुबह 4 बजकर 49 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 28 अप्रैल को देर रात 1 बजे होगा। ऐसे में अमावस्या तिथि की पूजा 27 अप्रैल को किया जाएगा।
वैशाख पूर्णिमा पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ पितृ देवतायै नम:
ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
गोत्रे मां (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः”
वैशाख अमावस्या का महत्व
अमावस्या तिथि पर लोग पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण करते हैं। ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की पूजा करना बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है। इसके अलावा इस दिन पवित्र नंदियों में स्नान करने और जरुरतमंदों को दाने देने से धन-धान्य की वृद्धि होती है।