वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने से जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, मिलेगा सुख-समृद्धि का वरदान!

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धर्म { गहरी खोज } : एकदशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। वैसे तो साल में कुल 24 एकादशी तिथि का व्रत किया जाता है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष में वरूथिनी एकादशी का व्रत आयोजित होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्त होता है और उसके जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। वहीं वरूथिनी एकादशी के दिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करने से व्रत पूरा माना जाता है।

वरूथिनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय राजा मांधाता का राज्य नर्मदा नदी के तट पर बसा था। वे धर्मात्मा राजा थे। वे अपनी प्रजा की सेवा करते थे और पूजा, पाठ, धर्म, कर्म में उनका मन लगता था। एक दिन वे जंगल में चले गए और वहां पर तपस्या करनी शुरू कर दी। वे तपस्या में काफी समय तक लीन रहे। एक दिन एक भालू वहां पर आया और राजा मांधाता पर हमला कर दिया।

इस हमले में भालू ने राजा मांधाता के पैर को पकड़ लिया और घसीटने लगा। उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और भगवान के तप में ही लगे रहे। उन्होंने अपने प्रभु श्रीहरि का स्मरण करके जीवन रक्षा की प्रार्थना की। इतने समय में भालू उनको जंगल के और अंदर लेकर चला गया। तभी भगवान विष्णु प्रकट हुए। उन्होंने उस भालू का वध कर दिया और राजा मांधाता के प्राण बच गए। भालू के हमले में राजा मांधाता का पैर खराब हो गया था। इस बात से वे काफी दुखी थे।

तब भगवान विष्णु ने राजा मांधाता को बताया कि यह तुम्हारे पिछले जन्मों के कर्मों का ही फल है। तुम्हें परेशान नहीं होना चाहिए। जब वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष में एकादशी आए तो उस दिन मथुरा में भगवान वराह की पूजा विधिपूर्वक करो। उस व्रत और पूजन के प्रभाव से एक नया शरीर प्राप्त होगा।

श्रीहरि की ये बात सुनकर राजा मांधाता खुश हो गए। वे प्रभु की आज्ञा पाकर वैशाख कृष्ण एकादशी यानि वरूथिनी एकादशी को मथुरा पहुंच गए। उन्होंने वरूथिनी एकादशी का व्रत रखा और भगवान वराह की विधिपूर्वक पूजा की। व्रत के बाद पारएा करके उपवास को पूरा किया। इस व्रत के पुण्य से उनको एक नया शरीर प्राप्त हुआ। वे अपने राज्य वापस लौट आए और सुखी जीवन व्यतीत करने लगे। जब उनकी मृत्यु हुई तो उनको स्वर्ग की प्राप्ति हुई। उनको सद्गति मिली।

ऐसी ही जो भी व्यक्ति वरूथिनी एकादशी का व्रत विधि विधान से करता है और वरूथिनी एकादशी की व्रत कथा सुनता है, उस पर प्रभु हरि की कृपा होती है। उसके पाप मिटते हैं और वह मोक्ष पा जाता है। वह भयहीन हो जाता है।

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