प्योर की 400 करोड़ रुपये के निवेश की योजना, पेश किया पांच मेवा/घंटा क्षमता का पावरस्टोरेज

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: ऊर्जा भंडारण उत्पाद और दुपहिया इलेक्ट्रिक वहन क्षेत्र की अग्रणी कंपनी, प्योर ने बुधवार को घोषणा की कि वह डेढ़ से तीस साल में ऊर्जा भंडारण उत्पादों के विकास और निर्माण के क्षेत्र में 400 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
कंपनी के अधिकारियों ने यहां संवादाताओं को बताया कि इस निवेश का उद्देश्य बैटरी और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन और इन-हाउस फ़र्मवेयर क्षमताओं का विस्तार करना है। इसके बाद उसकी क्षमता मौजूदा 250 मेगावाट/घंटा (मेवा/घंटा) से बढ़कर 2.5 हजार मेगावाट/घंटा हो जाएगी। कंपनी ने इस अवसर पर बैटरी आधारित पांच मेगावाट प्रति घंटा (एमडब्ल्यूएच) ग्रिड स्टोरेज उत्पाद, प्योरपावर ग्रिड बाजार में प्रस्तुत करने की घोषणा की।
कंपनी के संस्थापक और प्रबंध निदेशक डॉ. निशांत डोंगरी ने कहा, “हमने बैटरी प्रौद्योगिकी और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स में अपनी गहन विशेषज्ञता का उपयोग ग्रिड के स्तर के उत्पाद के निर्माण के लिए किया है जो शक्तिशाली, इंटेलीजेंट और किफायती है।” कंपनी ने कहा है कि यह नवोन्मेषी उत्पाद, भारत के ऊर्जा बुनियादी ढांचे को बदलने, ग्रिड स्थिरता बढ़ाने और अक्षय ऊर्जा स्रोतों के एकीकरण में तेज़ी लाने के लिए तैयार है।
नए निवेश के बारे में कंपनी ने कहा कि 400 करोड़ रुपये का प्रस्तावित निवेश का प्रबंध शेयर पूंजी और ऋण के माध्यम से किया जाएगा और इसका इस्तेमाल क्षमता विस्तार, अनुसंधान एवं विकास, प्लांट सेटअप और बैटरी निर्माण पर किया जाएगा। कंपनी की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्योर ने बौद्धिक सम्पदा (आईपी) के लिए 120 से अधिक आवेदन किए हैं, जो नवाचार के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं।
नए उत्पाद के बारे में कंपनी ने कहा है कि पांच मेगावाट/ घंटा क्षमता के प्योरपावर ग्रिडमें इन-बिल्ट सोलर और पीसीएस है और इसमें प्योर को 10 से अधिक प्रमुख अक्षय ऊर्जा ईपीसी कंपनियों और बड़े उद्योगों से रुचि पत्र (ईओआई) मिले हैं।
भारत में बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (बीईएसएस) की मांग बढ़ रही है और इस दशक के अंत तक बाज़ार के 36 अरब डॉलर से अधिक के स्तर तक पहुंच जाने का अनुमान है। सरकार ने देश में अक्षय ऊर्जा की उत्पापदन क्षमता पांच लाख मेगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। एक अनुमान के अनुसार 2030 तक दो लाख मेगावाट प्रति घंटा से अधिक क्षमता की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों आवश्यकता होगी।