भारत में कम हो रहे सर्वाइकल कैंसर के मामले, एम्स की डॉक्टर ने बताया कैसे

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज } : सर्वाकल कैंसर को लेकर राहत भरी खबर है। यह खबर नेशनल एकेडमिक ऑफ मेडिकल सांइससे आई है। NAMS की वाइस प्रेसिडेंट प्रोफेसर नीरजा भाटला का दावा है कि देश में सर्वाकल कैंसर को लेकर जागरुकता और सरकारी पहल का असर देखने को मिल रहा है। टीवी9 भारतवर्ष से खास बातचीत में उन्होंने दावा किया कि आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) में जिस तरह सर्वाइकल कैंसर को लेकर मामले दर्ज होते थे उनमें कमी आई है। इसकी बड़ी वजह सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीनेशन भी है।
ग्लोबोकन 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 123,907 नए सर्वाइकल कैंसर के मामले पाए गए हैं और इस बीमारी से 77,348 लोगों ने अपनी जान गवां ली है। पैप स्मीयर या एचपीवी परीक्षणों के साथ नियमित जांच से कैंसर पूर्व घावों का पता लगाया जा सकता है, जिससे की समय रहते इलाज शुरू कर इसे ठीक किया जा सके। देश में हर दिन इसकी वजह से करीब 200 महिलाओं की मृत्यु होती है। लेकिन अब मामलों में पहले की तुलना में कमी आ रही है।
क्या है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर के सभी मामले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) इन्फेक्शन से जुड़े होते हैं, जो यौन संचारित रोग है। आंकड़े यह भी बताते हैं कि भारत में प्रति 1000 महिलाओं में 17।7 महिला सर्वाइकल कैंसर से ग्रसित हैं। WHO के मानकों के मुताबिक इन आंकड़ो के कम करके 4 प्रतिशत तक लाना है। भारत में जिस हिसाब से सर्वाइकल कैंसर के मामले हैं उनपर कन्ट्रोल करते करते साल 2062 हो जाएगा।
ऐसे पता चलता है सर्वाइकल कैंसर के बारे में
डॉ नीरजा ने बताया कि यदि पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग होता है, यौन संसर्ग के बाद ब्लीडिंग, दुर्गंधयुक्त श्वेत स्राव और कमर के निचले भाग में दर्द या पेट के निचले हिस्से में भी तकलीफ महसूस हो सकती है। इसके साथ ही पेशाब करने के दौरान अचानक दर्द या कठिनाई महसूस होना भी इसके लक्षण हैं। सर्वाइकल कैंसर एचपीवी वायरस से होता है। यह वायरस शारीरिक संबंध बनाने के दौरान पुरुषों से महिलाओं में जाता है। हालांकि कई दूसरे कारणों से भी ये कैंसर हो सकता है। जिन महिलाओं की इम्यूनिटी कमजोर होती है उनको इस कैंसर का रिस्क अधिक होता है।