अल्कोहलिक या नॉन-अल्कोहलिक, कौन सा फैटी लिवर ज्यादा खतरनाक?

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज } : फैटी लिवर दो तरह के होते हैं। एक वो जो शराब पीने से होता है। इसको मेडिकल की भाषा में अल्कोहलिक फैटी लिवर कहते हैं। जो लोग शराब नहीं पीते और फिर भी लिवर फैटी हो जाता है तो इसको नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर कहते हैं। लिवर की ये दो प्रकार की बीमारियां हैं। जो शुरुआत में तो आम होती है, लेकिन बाद में ये लिवर फेल होने तक का कारण बन सकती हैं। कई लोगों के मन में यह भी सवाल होता है कि शराब पीने से जो लिवर खराब हो रहा है वह ज्यादा खतरनाक है या जो खराब खानपान से बिगड़ा है उनमें ज्यादा खतरा है?
डॉक्टर कहते हैं कि लिवर पर फैट जब तय मानक से ज्यादा हो जाए तो इसको फैटी लिवर की बीमारी कहते हैं अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो दोनों ही स्थितियों से लिवर में सूजन, निशान (फाइब्रोसिस) और यहां तक कि सिरोसिस भी हो सकता है। सिरोसिस के बाद हालत गंभीर हो जाती है और लिवर डैमेज हो जाता है। ऐसे में ट्रांसप्लांट तक की जरूरत पड़ती है।
भारत में बीते एक दशक में लिवर की बीमारियों के मामले बढ़ भी रहे हैं। लिवर फेल हो रहा है तो ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार कर रहे लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे में इस अंग को ठीक रखना जरूरी है। इसके लिए आपको अल्कोहलिक और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर के बारे में पता होना चाहिए। लिवर फैटी क्यों होता है और अल्कोहलिक व नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर क्या हैं और कौन सा खतरनाक है इसके बारे में जानते हैं।
अल्कोहॉलिक फैटी लिवर (AFLD)
जो लोग अधिक शराब का सेवन करते हैं, उनको ये बीमारी होती है। कारण यह है कि शराब पीने से उनका लिवर उसे पचाने में संघर्ष करता है। इससे फैट बनता रहता है और लिवर की सेल्स डैमेज हो जाती हैं। यदि शराब पीना जारी रहता है, तो AFLD जल्दी ही अल्कोहॉलिक हेपेटाइटिस, फाइब्रोसिस और अंत सिरोसिस या लिवर फेलियर में बदल सकता है। जो घातक होता है। ये मौत का कारण तक बन सकता है।
मुख्य जोखिम क्या हैं
बहुत अधिक या बहुत ज़्यादा शराब पीना
पोषक तत्वों की कमी
हेपेटाइटिस बी या सी जैसे संक्रमण
नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर (NAFLD)
NAFLD का शराब के सेवन से कोई संबंध नहीं है। इसके बजाय, यह इन कारणों से होता है
मोटापा
टाइप 2 मधुमेह
हाई कोलेस्ट्रॉल
कौन सा अधिक खतरनाक है?
सीके बिरला अस्पताल में जीआई और बैरिएट्रिक सर्जरी विभाग में निदेशक डॉ। सुखविंदर सिंह सग्गू बताते हैं कि दोनों ही खतरनाक हैं। ये लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर और यहाँ तक कि मृत्यु का कारण भी बन सकते हैं। हालांकि, अब नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर के मामले ज्यादा है। इसके मामले में चिंता की बात यह है कि इसपर तब तक किसी का ध्यान नहीं जाता जब तक कि यह गंभीर न हो जाए।
नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर का जल्दी निदान करना भी कठिन है। यह खामोशी से बढ़ता रहता है और अचानक जब गंभीर रूप लेता है तब पता चलता है। क्योंकि व्यक्ति यही सोचता है कि जब वह शराब पीता ही नहीं है तो लिवर ठीक ही होगा, लेकिन ऐसा है नहीं। आपका खराब खानपान भी लिवर को शराब जितना ही नुकसान कर सकता है।
लिवर को अच्छा कैसे रखें
शराब को सीमित करें या उससे बचें, खासकर अगर आपको पहले से ही लिवर की समस्या है
नियमित व्यायाम के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखें
फलों, सब्जियों का सेवन करें
अधिक मात्रा में मैदा खाने से बचें