कार्यपालिका में हस्तक्षेप का आरोप लगेगा: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पश्चिम बंगाल के कई जिलों में भड़की हिंसा को लेकर अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
यह याचिका अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने दायर की, जिन्होंने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की पीठ के सामने मामला रखा। पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से गुहार लगाई कि राज्य में हिंसा की गंभीरता को देखते हुए तुरंत अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाए और राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि स्थिति बिगड़ती जा रही है और तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि वे सीधे केंद्र सरकार को निर्देश देने की स्थिति में नहीं हैं। न्यायालय ने कहा, “आप चाहते हैं कि हम केंद्र को निर्देश दें… लेकिन इससे कार्यपालिका में हस्तक्षेप का आरोप लगेगा।” यह टिप्पणी हाल ही में आए उस सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में की गई, जिसमें राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों को लेकर राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर टिप्पणी की गई थी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए इसे मंगलवार को सूचीबद्ध किया है।
11 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल जिले मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी। इस दौरान दो लोगों की मौत हो गई, कई लोग घायल हुए और कई घर और दुकानें जला दी गईं। हजारों लोग डर के मारे अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तलाश में निकल पड़े। यह हिंसा धीरे-धीरे मालदा, दक्षिण 24 परगनाऔर हुगली जैसे जिलों में भी फैल गई, जहाँ आगजनी, पथराव और सड़कों पर जाम जैसी घटनाएं सामने आईं।
पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि राज्य में हिंदू समुदाय खतरे में है। उन्होंने घटना की एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) से जांच की मांग की और राज्य पुलिस को “क्रूर हत्या” के लिए जिम्मेदार ठहराया। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) अध्यक्ष विजया रहाटकर ने भी राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस से मुलाकात कर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को तत्काल प्रभाव से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए।

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