रेरा का खरीदार के हक में फैसला : बिल्डर विलंबित कब्जे के लिए ग्राहक को देगा 11.10 प्रतिशत ब्याज

जयपुर{ गहरी खोज } : राजस्थान भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ने खरीदार अनुराधा सेठिया के पक्ष में एक और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। रेरा चेयरपर्सन वीनू गुप्ता की बेंच ने सिद्धा इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को उनकी परियोजना ‘सिद्धा आंगन – फेज III (मयूर ब्लॉक)’ में विलंबित कब्जे के लिए शिकायतकर्ता को ब्याज देने का निर्देश दिया है।
मामले के अनुसार, अनुराधा सेठिया ने ₹24,40,245/- के कुल बिक्री मूल्य पर एक फ्लैट बुक किया था, जिसके लिए 12 जनवरी, 2015 को समझौता हुआ था। समझौते के अनुसार, परियोजना की पूर्णता अवधि 24 अगस्त, 2014 से 36 महीने और 6 महीने की अतिरिक्त अवधि थी, जिसका अर्थ है फरवरी 2018 तक कब्जा दिया जाना था। शिकायतकर्ता ने कुल बिक्री मूल्य के एवज में ₹21,56,764/- का भुगतान किया था, जिस पर प्रतिवादी ने कोई विवाद नहीं किया।
शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि समझौते के अनुसार फरवरी 2018 तक कब्जा दिया जाना था, लेकिन सात साल बीत जाने के बाद भी उन्हें कब्जा नहीं मिला। प्रतिवादी ने उन्हें फिट-आउट और अंतिम कब्जे की सूचना दी, लेकिन पूर्णता प्रमाण पत्र की प्रति प्रदान नहीं की। इसलिए, शिकायतकर्ता ने विलंबित ब्याज के साथ फ्लैट के कब्जे की मांग की।
प्रतिवादी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि परियोजना में देरी ‘अप्रत्याशित घटना’ के कारण हुई। उन्होंने बताया कि परियोजना का पंजीकरण संशोधित किया गया था और दो ब्लॉकों में से केवल मयूर ब्लॉक को ही रखा गया। उन्होंने यह भी बताया कि परियोजना के लिए 22 अप्रैल, 2024 को पैनलबद्ध वास्तुकार से पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया गया है और परियोजना कब्जे के लिए तैयार है।
प्रतिवादी ने अनुरोध किया कि शिकायतकर्ता कब्जा ले लें, लेकिन देरी अप्रत्याशित घटना के कारण होने से कोई ब्याज न दिया जाए। रेरा चेयरपर्सन वीनू गुप्ता ने माना कि परियोजना में अत्यधिक देरी हुई है, लेकिन यह भी देखा कि परियोजना पूरी हो चुकी है और पूर्णता प्रमाण पत्र स्वीकृत हो गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने “आईआरईओ ग्रेस रियलटेक प्राइवेट लिमिटेड बनाम अभिषेक खन्ना एंड अदर्स” मामले में पहले ही विचार किया है कि पूरी हो चुकी परियोजनाओं में वापसी की अनुमति नहीं दी जा सकती है।