योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे… 17वें सिविल सेवा दिवस पर आईएएस अफसरों से बोले पीएम मोदी

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नयी दिल्ली { गहरी खोज } :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में आयोजित 17वें सिविल सेवा दिवस समारोह में शिरकत की और इस मौके पर लोक सेवकों को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपने विचार साझा किए। पीएम मोदी ने सिविल सेवा के महत्व पर जोर दिया और लोक सेवकों को उनकी जिम्मेदारियों का अहसास कराया, साथ ही उन्होंने देश के समग्र विकास के लिए सिविल सेवा की भूमिका को रेखांकित किया।
आपको बता दें कि पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि इस वर्ष का सिविल सेवा दिवस कई कारणों से खास है। सबसे पहले, यह वर्ष हमारे संविधान की 75वीं वर्षगांठ का है, जो भारत के लोकतांत्रिक और न्यायिक ढांचे को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही, यह वर्ष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती का भी है, जिन्होंने देश को एकजुट करने और प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने में अहम योगदान दिया। उन्होंने कहा, “एक सिविल सेवक वही है जो राष्ट्र की सेवा को अपना सर्वोच्च कर्तव्य मानता है, जो लोकतांत्रिक तरीके से प्रशासन चलाता है, और जो ईमानदारी, अनुशासन और समर्पण से भरा हुआ होता है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत विकसित भारत बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और ऐसे में सरदार पटेल के विचार और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। वे बोले, “हम जिस दुनिया में रह रहे हैं, वह बहुत तेजी से बदल रही है। हमारी नौकरशाही और नीति-निर्माण पुरानी प्रणालियों पर काम नहीं कर सकते। इसलिए, 2014 से ही हम व्यवस्थागत बदलाव को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत का आकांक्षी समाज, चाहे वह युवा, किसान या महिलाएं हों, अभूतपूर्व सपने और महत्वाकांक्षाएं रखते हैं। इन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सिर्फ़ एक तेज़ गति से प्रगति की आवश्यकता है, ताकि हम अपनी पूरी क्षमता को प्राप्त कर सकें।
पीएम मोदी ने इस वर्ष की सिविल सेवा थीम ‘भारत का समग्र विकास’ को लेकर कहा, “यह सिर्फ एक थीम नहीं है, बल्कि यह हमारे राष्ट्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। समग्र विकास का मतलब है कि कोई भी परिवार, नागरिक या गांव पीछे न छूटे।” उन्होंने कहा कि वास्तविक प्रगति छोटे बदलावों के बारे में नहीं है, बल्कि बड़े पैमाने पर सार्थक प्रभाव डालने के बारे में है। “हर घर में स्वच्छ पानी होना चाहिए, हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए, और शासन की गुणवत्ता इस बात से तय होती है कि योजनाएं लोगों तक कितनी गहराई से पहुंचती हैं और उनका जमीनी स्तर पर कितना प्रभाव पड़ता है।”
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि आज की बदलती दुनिया में हमें अपनी नौकरशाही और नीति-निर्माण प्रक्रियाओं को पुरानी प्रणालियों से बाहर निकालकर आधुनिक और प्रभावी बनाना होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशीलता और प्रभावी प्रशासन की आवश्यकता है, ताकि सरकार की योजनाओं का वास्तविक लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।
पीएम मोदी ने सिविल सेवकों से अपील की कि वे अपने कार्य में ईमानदारी, समर्पण और मेहनत से देश के विकास में योगदान करें। उन्होंने यह भी कहा कि, “सिविल सेवक देश के लोकतंत्र की रीढ़ हैं, और उनका योगदान राष्ट्र के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।” प्रधानमंत्री के इस संबोधन ने सिविल सेवकों के लिए एक प्रेरणा का काम किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि अब सिविल सेवाओं का कार्य केवल कागजी कार्यवाही तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह एक ऐसी प्रणाली होगी जो आम नागरिकों की जीवनशैली को सुधारने, उनके सपनों को पूरा करने और समग्र विकास की दिशा में कार्य करेगी।

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