ममता का गैर जिम्मेदाराना बयान

संपादकीय { गहरी खोज } : ममता बनर्जी पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री हैं जो एक संविधानिक पद है। लेकिन ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद में हुई साम्प्रदायिक हिंसा को लेकर तथा वक्फ कानून को प्रदेश में न लागू करने व केंद्र सरकार और सीमा सुरक्षा बलों पर जो आरोप लगाए हैं वह गैर जिम्मेदाराना तो हैं ही साथ में चिंताजनक भी हैं। 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों को सम्मुख रखते हुए तथा पुनः सत्ता हासिल करने के लिए ममता जो कह व कर रही है वह उनकी सत्ता प्रति लालसा को ही दर्शाता है। ममता बनर्जी ने मुस्लिम धार्मिक नेताओं के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लागू नहीं करने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि यह कानून देश को विभाजित करेगा। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए देश को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। मुर्शिदाबाद के धुलियान और शमशेरगंज इलाकों में 11 और 12 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई झड़पों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा समर्थित बाहरी लोग हिंसा भड़काने के लिए राज्य में घुस आए हैं। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने दावा किया कि पड़ोसी बांग्लादेश में अस्थिर स्थिति के बावजूद केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम को जल्दबाजी में पारित कर दिया और सीमा पार से अवैध घुसपैठ की अनुमति दी, जिसके कारण बंगाल में अशांति फैली। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि बीएसएफ के एक वर्ग और गृह मंत्रालय के अधीन कुछ केंद्रीय एजेंसियों ने हिंसा को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई। उन्होंने सीमा सुरक्षा बल की भूमिका की जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे ऐसी खबरें मिली हैं, जिनमें मुर्शिदाबाद में अशांति के पीछे सीमा पार से आए तत्वों की भूमिका का दावा किया गया है। क्या सीमा की सुरक्षा में बीएसएफ की भूमिका नहीं है? बीएसएफ गृह मंत्रालय के अधीन है। राज्य सरकार अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा नहीं करती है। केंद्र सरकार इसकी जिम्मेदारी से
नहीं बच सकती। मुर्शिदाबाद जिले में हाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान एक विशेष समुदाय के लोगों पर कथित अत्याचार के खिलाफ तख्तियां लेकर भाजपा विधायकों ने पश्चिम बंगाल विधान सभा के निकट ‘हिंदू शहीद दिवस’ मनाया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने उन पिता-पुत्र के लिए भी न्याय की मांग की, जिनकी पिछले सप्ताह मुस्लिम बहुल जिले में हिंसा के दौरान भीड़ ने हत्या कर दी थी।
पं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद से पलायन कर गए 500 परिवारों को लेकर चुप्पी साधी। यह चुप्पी संकेत दे रही है कि ममता के दिलों-दिमाग में केवल और केवल मुस्लिम मतदाता ही छाए हुए हैं। बंगाल में 33 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। ममता की सोच है कि अतीत की तरह इस बार भी 90 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता उनको मिल जाए तो सत्ता उन्हीं के हाथ आएगी। मुर्शिदाबाद में 67 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है और 32 प्रतिशत हिन्दू आबादी है। इसी कारण मुर्शिदाबाद में हुई साम्प्रदायिक हिंसा को लेकर मुस्लिम, दंगाइयों की बजाए केंद्र सरकार व सीमा सुरक्षा बल पर निशाना साध रही है। संविधानिक तौर पर संसद को कानून बनाने का अधिकार है और राज्यों को इसे मानना होता है। अब कानून सही है या गलत यह मामला देश के उच्चतम न्यायालय में है, बहस जारी है। न्यायालय क्या फैसला देता है उसका इंतजार किए बिना सड़कों पर उतर आना और हिंसा फैलाना गलत है। हिंसा से भयभीत हिन्दू पलायन को मजबूर हुए, अब वह अपने घरों में वापस जाने से भी घबरा रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में 90 के दशक में शुरू हुई हिंसा के कारण वहां से हिन्दुओं को पलायन करना पड़ा था। 2025 में पं. बंगाल के मुर्शिदाबाद से सामूहिक रूप से हिन्दू परिवारों को पलायन करना पड़ा है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां कानून का राज है। ऐसे में सड़कों पर उतर कर हिंसा करने से बात नहीं बनने वाली। हां, माहौल अवश्य खराब होता है।
कानून को मानने वाले लोग जब पलायन को मजबूर हो और कानून को हाथ लेने वालों को अप्रत्यक्ष रूप से जब सत्ता पक्ष का साथ हो तब स्थिति चिंताजनक हो जाती है और कानून तोड़ने वालों के साथ-साथ उन्हें संरक्षण व समर्थन देने वाले भी कटघरे में खड़े दिखाई देते हैं। आज ममता बनर्जी की सरकार कटघरे में खड़ी दिखाई दे रही है और मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा व हिन्दू परिवारों के पलायन के साथ ममता द्वारा दिए गए गैर जिम्मेदाराना बयान का भी उत्तर देशवासी मांग रहे हैं।
पं. बंगाल में पैदा हुई स्थिति को लेकर केंद्र सरकार का चुप रहना और प्रदेश सरकार विरुद्ध कोई ठोस कदम न उठाना भी जन साधारण की परेशानी का कारण बना हुआ है। देश के उच्चतम न्यायालय ने पं. बंगाल में वक्फ के नाम पर हुई हिंसा पर चिंता जताई है, लेकिन पं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जो कह व कर रही है वह उनकी तुष्टिकरण की नीति को दर्शाने के साथ उनके गैर जिम्मेदाराना पक्ष को भी उजागर कर रहा है, यह अति चिंता का विषय है।