बीसीसीआई की कमाई कम करने की कोशिश, आईसीसी ने दिया करारा जवाब, आईपीएल पर भी की बोलती बंद

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नयी दिल्ली { गहरी खोज }: वर्ल्ड क्रिकेटर्स एसोसिएशन (डब्ल्यूसीए) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी और क्रिकेट में कई बड़े बदलाव करने के सुझाव दिए थे। उसने आईसीसी के रेवेन्यू मॉडल पर सवाल उठाए थे और बीसीसीआई के शेयर को घटाने की बात कही थी। इतना ही नहीं डब्ल्यूसीए नेआईपीएल समेत तमाम टी20 लीग पर भी सवाल उठा दिए थे। अब बीसीसीआई की अगुआई में आईसीसी के सदस्यों ने डब्ल्यूसीए की रिपोर्ट पर करारा जवाब दिया है। जिम्बाब्वे में हाल ही में हुई चार दिवसीय बैठक के दौरान, आईसीसी की चीफ एक्जीक्यूटिव कमेटी ने रिपोर्ट पर चर्चा की और साफ-साफ कह दिया है कि खिलाड़ी या तो आईपीएल में खेलें या फिर डब्ल्यूसीए का साथ दें और लीग से साइड हो जाएं।
डब्ल्यूसीए का कहना था कि वो खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन आईसीसी ने सीईसी की बैठक में ये कहकर बोलती बंद कर दी कि क्रिकेटर्स अपने-अपने देश के बोर्ड का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं इस बैठक में बीसीसीआई ने कड़ा रुख अपनाया, जिसमें दूसरे सदस्यों ने उसका साथ दिया। भारतीय बोर्ड का सीधा संदेश था कि खिलाड़ी आईपीएल और डब्ल्यूसीए में से किसी एक चुन लें। इसके अलावा उसने कहा कि जहां तक गेमिंग राइट्स से होने वाली कमाई में हिस्सेदारी का सवाल है, यह किसी का मामला नहीं है। एक खिलाड़ी अपने क्रिकेट बोर्ड का प्रतिनिधित्व करता है और उन क्रिकेट बोर्ड के सदस्य आईसीसी को बनाते हैं। इसमें डब्ल्यूसीए की भूमिका कहीं भी नहीं है। बीसीसीआई की इस बात पर सभी सदस्य एकमत थे।
डब्ल्यूसीए की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान मौजूद रहे एक सदस्य ने कहा, “वो (डब्ल्यूसीए) कौन हैं? वर्ल्ड क्रिकेटर्स एसोसिएशन क्या है? वो कहां से आए हैं? मेरे लिए वो कुछ और नहीं बल्कि एक ट्रेड यूनियन हैं जो बेकार में शोर मचा रहे हैं। उन्हें खिलाड़ियों के हित की जरा भी परवाह नहीं है। वो बस ध्यान भटकाना चाहते हैं। यदि आईसीसी इस तरह के ट्रेड यूनियनों पर रिएक्ट करता है या उन्हें बढ़ावा देता है, तो खेल सही जगह पर नहीं होगा।”
डब्ल्यूसीए ने अपनी 31 पेज की रिपोर्ट में कई बड़े बदलाव के सुझाव दिए हैं। उसमें आईसीसी के रेवेन्यू मॉडल में बदलाव सबसे बड़ा चर्चा का विषय रहा। उसका कहना था कि 83 प्रतिशत से ज्यादा कमाई सिर्फ दुनिया के 3 देशों के बोर्ड्स (भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड) के पास जा रहा है। वहीं बीसीसीआई को सबसे ज्यादा 38।5% हिस्सा मिल रहा है।
डब्ल्यूसीए के मुताबिक, इस रेवेन्यू मॉडल की वजह क्रिकेट का विकास नहीं हो पा रहा है। वहीं खिलाड़ी जितनी कमाई करवा रहें हैं, उसके मुताबिक सैलरी नहीं मिल रही है। इसलिए उसने आईसीसी की कमाई से टॉप-24 देशों को कम से कम 2 प्रतिशत और ज्यादा से ज्यादा 10 प्रतिशत हिस्सा देने का सुझाव दिया था। इसका मतलब है कि बीसीसीआई की हिस्सेदारी 38।5% से घटकर 10% रह जाएगी।

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