कर्नाटक में वेमुला एक्ट लागू करने को मुख्यमंत्री को लिखा पत्र : राहुल

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर राज्य सरकार से रोहित वेमुला एक्ट नाम से एक कानून बनाने का आग्रह किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिक्षा प्रणाली में किसी को भी जाति-आधारित भेदभाव का सामना न करना पड़े। कर्नाटक के सीएम को लिखे अपने पत्र में गांधी ने बीआर अंबेडकर के साथ उनके जीवनकाल में हुए भेदभाव को उजागर किया। राहुल ने एक्स पर लिखा कि हाल ही में संसद में मेरी मुलाक़ात दलित, आदिवासी और OBC समुदाय के छात्रों और शिक्षकों से हुई थी। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें किस तरह कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जाति के आधार पर भेदभाव झेलना पड़ता है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि बाबासाहेब अंबेडकर ने दिखाया था कि शिक्षा ही वह साधन है जिससे वंचित भी सशक्त बन कर जातिभेद को तोड़ सकते हैं। लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दशकों बाद भी लाखों छात्र हमारी शिक्षा व्यवस्था में जातिगत भेदभाव का सामना कर रहे ‌हैं। उन्होंने आगे कहा कि इसी भेदभाव ने रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे होनहार छात्रों की जान ली है। ऐसी भयावह घटनाएं किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं। अब इस अन्याय पर पूरी तरह से रोक लगाने का वक्त है।‌ मैंने सिद्धारमैया जी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि कर्नाटक में रोहित वेमुला एक्ट लागू किया जाए। भारत के किसी भी बच्चे को वो जातिवाद नहीं झेलना चाहिए, जिसे बाबासाहेब अंबेडकर, रोहित वेमुला और करोड़ों लोगों ने सहा है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा कर्नाटक में रोहित वेमुला अधिनियम लागू करने के अनुरोध के बाद, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य सरकार राज्य में अधिनियम लागू करने के अपने संकल्प पर अडिग है और जल्द से जल्द कानून लाएगी। कर्नाटक के सीएम ने एक्स पर पोस्ट किया कि मैं राहुल गांधी को उनके हार्दिक पत्र और सामाजिक न्याय के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद देता हूं। हमारी सरकार कर्नाटक में रोहित वेमुला अधिनियम लागू करने के अपने संकल्प पर अडिग है – यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी छात्र को जाति, वर्ग या धर्म के आधार पर भेदभाव का सामना न करना पड़े। हम रोहित, पायल, दर्शन और अनगिनत अन्य लोगों के सपनों का सम्मान करने के लिए जल्द से जल्द यह कानून लाएंगे, जो सम्मान के हकदार थे, न कि बहिष्कार के।

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