कुंडली में कैसे बनता है नौकरी का योग, किन ग्रहों का मिलना है जरूरी?

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धर्म { गहरी खोज } : आप नौकरी पाने के लिए कई कोशिशों में लगे हुए हैं और आपको नौकरी कड़ी मेहनत के बाद भी नहीं मिल पा रही है तो आपको ये जानना बहुत ही आवश्यक है कि आपकी कुंडली में नौकरी का योग है भा या नहीं। अगर आपकी कुंडली में नौकरी का योग नहीं है तो आप कितनी भी मेहनत और कोशिश कर लें आपको नौकरी नहीं मिलेगी। वहीं अगर आपकी कुडली में नौकरी का योग है तो आपको नौकरी मिलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंडली में नौकरी का योग कब और कैसे बनता है। यहां आपको पूरी जानकारी दी जा रही है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में नौकरी का योग कई ग्रहों, भावों और उनकी युति, दृष्टि एवं स्थिति के कारण बनता है। नौकरी के लिए मुख्य रूप से छठा भाव (सेवा भाव), दसवां भाव (कर्म भाव) और ग्यारहवां भाव (लाभ भाव) महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन भावों के स्वामियों और इनमें स्थित ग्रहों का आपसी संबंध नौकरी के योग बनाता है।

इन ग्रहों का मजबूत होना है जरूरी
सूर्य: यह सरकारी नौकरी, उच्च पद और प्रशासन का कारक ग्रह है। कुंडली में मजबूत सूर्य सरकारी नौकरी के योग बनाता है।
शनि: यह सेवा, मेहनत, अनुशासन और स्थिरता का कारक ग्रह है। शनि की अच्छी स्थिति नौकरी में स्थायित्व प्रदान करती है।
बृहस्पति: यह ज्ञान, शिक्षा, और भाग्य का कारक ग्रह है। गुरु की शुभ स्थिति शिक्षा के क्षेत्र में नौकरी और उन्नति दिलाती है।
बुध: यह बुद्धि, संचार, और व्यापार का कारक ग्रह है। बैंकिंग, लेखन, और व्यापार से संबंधित नौकरी के लिए बुध का मजबूत होना आवश्यक है।
मंगल: यह ऊर्जा, साहस और पराक्रम का कारक ग्रह है। सेना, पुलिस या इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में नौकरी के लिए मंगल का अच्छा होना जरूरी है।
चंद्रमा: यह मन और भावनाओं का कारक ग्रह है। चंद्रमा की अच्छी स्थिति से व्यक्ति रचनात्मक क्षेत्रों में नौकरी पा सकता है।

ग्रहों का मिलना (युति, दृष्टि, स्थिति)

  1. दशम भाव का मजबूत होना: दशम भाव (कर्म भाव) का स्वामी और कारक ग्रह (शनि) का अच्छी स्थिति में होना नौकरी के लिए महत्वपूर्ण है।
  2. छठे भाव का संबंध: छठे भाव (सेवा भाव) का स्वामी और कारक ग्रह (शनि) का दशम भाव या उसके स्वामी से संबंध नौकरी के योग बनाता है।
  3. लग्नेश का संबंध: लग्न का स्वामी (व्यक्ति स्वयं) का छठे या दसवें भाव के स्वामी से संबंध नौकरी पाने में सहायक होता है।
  4. शुभ ग्रहों की दृष्टि या युति: यदि दशम भाव या उसके स्वामी पर गुरु, बुध या शुक्र जैसे शुभ ग्रहों की दृष्टि हो या युति हो तो यह नौकरी के लिए अच्छा योग बनाता है।
  5. राजयोग और अन्य शुभ योग: कुंडली में बन रहे राजयोग (केंद्र और त्रिकोण के स्वामियों का संबंध) और अन्य शुभ योग नौकरी पाने में सहायक होते हैं।
  6. ग्रहों की दशा: ग्रहों की अनुकूल दशा और अंतर्दशा नौकरी मिलने के समय को निर्धारित करती है।

ऐसे बनता है विशेष योग

  1. सरकारी नौकरी के लिए: सूर्य का दशम भाव में मजबूत होना, दशम भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि, सूर्य और शनि का संबंध आदि सरकारी नौकरी के प्रबल योग बनाते हैं।
  2. प्रशासनिक नौकरी के लिए: सूर्य का मजबूत होना, मंगल का प्रभाव और दशम भाव का बली होना प्रशासनिक सेवाओं में सफलता दिलाता है।
  3. तकनीकी नौकरी के लिए: मंगल, शनि और बुध का दशम भाव से संबंध तकनीकी क्षेत्रों में नौकरी दिलाता है।
  4. शिक्षण के क्षेत्र में नौकरी के लिए: बृहस्पति का दशम भाव या उसके स्वामी से संबंध शुभ होता है।

इस बात का रखें खास ध्यान

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि केवल कुछ ग्रहों का मिलना ही नौकरी का योग नहीं बनाता है। पूरी कुंडली का विश्लेषण करना आवश्यक है, जिसमें ग्रहों की स्थिति, उनकी शक्ति, उन पर पड़ने वाली अन्य ग्रहों की दृष्टि और दशा आदि शामिल हैं। सटीक जानकारी के लिए किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेना उचित है।

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