एनडीए सरकार में ट्रैफिक पुलिस की दादागिरी! ट्रैक्टर चालक से मारपीट के बाद सड़क पर हंगामा

पटना{ गहरी खोज }: बिहार के कैमूर जिले के मोहनिया चांदनी चौक पर उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब ट्रैफिक पुलिस और एक ट्रैक्टर चालक के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि सड़क पर लंबा जाम लग गया। इस घटना ने न सिर्फ लोगों को परेशान किया, बल्कि पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए।
वहीं अब इस पूरे मामले पर ट्रैक्टर चालक प्रभु कुमार पटेल ने आरोप लगाया कि वह भभुआ से गेहूं लोड कर के मोहनिया बाजार समिति जा रहा था। रास्ते को लेकर जब उसने ट्रैफिक सिपाही से पूछा तो पुलिस ने उसे 500 रुपये का चालान थमा दिया। जब उसने इसका कारण जानने और विरोध करने की कोशिश की, तो ट्रैफिक पुलिस ने उसकी डंडे से पिटाई कर दी। चालक प्रभु कुमार ने कहा, “मैंने सिर्फ रास्ता पूछा और जब चालान काटा गया तो मैंने उसका कारण पूछा। मेरा मकसद था कि आगे ऐसा किसी और के साथ न हो। लेकिन पुलिस ने बात सुनने के बजाय मुझ पर हाथ उठा दिया।”
पिटाई से नाराज ट्रैक्टर चालक ने सड़क पर बैठकर प्रदर्शन शुरू कर दिया और मौके पर कार्रवाई की मांग की। देखते ही देखते वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई और करीब आधे घंटे तक चांदनी चौक की सड़क जाम रही। इस दौरान लोग परेशान होते रहे, लेकिन प्रशासन का कोई असर नहीं दिखा। हंगामे के बढ़ने पर ट्रैफिक पुलिस की टीम अपनी गाड़ी में बैठकर मौके से निकल गई। वहीं, इस पूरे विवाद पर ट्रैफिक पुलिस की ओर से भी सफाई दी गई है। ट्रैफिक सिपाही सुनील कुमार ने कहा कि ट्रैक्टर चालक नो एंट्री जोन में घुसा था, इसलिए उसका चालान काटा गया।
हालांकि, ट्रैफिक पुलिस ने कहा, “मैंने किसी की पिटाई नहीं की है। ट्रैक्टर वाला गलत रास्ते से आया था। चालान काटना हमारी ड्यूटी है। वह जानबूझकर सड़क जाम कर रहा है और झूठे आरोप लगा रहा है। जनता स्वतंत्र है, लेकिन नियम तोड़ने की इजाज़त किसी को नहीं।”
इस पूरे वाकये में दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। एक तरफ ट्रैक्टर चालक पुलिस पर मारपीट का आरोप लगा रहा है, तो दूसरी ओर पुलिस चालक को दोषी बता रही है। इस घटना ने यह सवाल जरूर खड़ा कर दिया है कि क्या कानून की रक्षा करने वाली पुलिस ही लोगों पर अत्याचार कर रही है? अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच करता है या नहीं।