आईजीएनसीए में ‘अयोध्या पर्व’ का संवाद, संगोष्ठी और लोक संगीत के साथ हुआ समापन

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज } : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) की ओर से तीन दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव ‘अयोध्या पर्व’ का समापन संवाद, संगोष्ठी और लोक संगीत के साथ किया गया।
आईजीएनसीए की ओर से सोमवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार, ‘अयोध्या पर्व’ रविवार को विचारोत्तेजक संगोष्ठी, ओजपूर्ण आल्हा गायन और सरस लोकगीतों की प्रस्तुति के साथ समापन किया गया। यह आयोजन आईजीएनसीए, श्री अयोध्या न्यास और प्रज्ञा संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में हुआ।
विज्ञप्ति के अनुसार, अंतिम दिन का आरम्भ एक साहित्यिक संगोष्ठी से हुआ, जिसका विषय ‘कुबेरनाथ राय के निबंधों में श्रीराम’ था। इस सत्र में सुप्रसिद्ध निबंधकार कुबेरनाथ राय के साहित्य में ‘श्रीराम’ की उपस्थिति पर गहन विमर्श हुआ।
इस मौके पर आईजीएनसीए के कला कोश प्रभाग के अध्यक्ष प्रो. सुधीर लाल, डॉ. मनोज कुमार राय, प्रो. देवराज, डॉ. अवनिजेश अवस्थी, राकेश मिश्र और डॉ. रमाकांत राय जैसे हिन्दी विद्वान तथा साहित्यकार शामिल हुए।
इसके बाद, समापन समारोह में ‘इंटरनेशनल भजन सुखसेवा मिशन’ (आईबीएस मिशन) के संस्थापक स्वामी सर्वानंद सरस्वती, विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय सचिव राजेन्द्र सिंह पंकज, आईजीएनसीए के कला निधि प्रभाग के प्रमुख एवं डीन, प्रशासन प्रो. रमेश चंद्र गौड़, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की रामलला की प्रतिमा का चित्र बनाने वाले कलाकार डॉ. सुनील विश्वकर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय की भी गरिमामय उपस्थिति रही। वक्ताओं ने अयोध्या की सांस्कृतिक चेतना, श्रीराम के सार्वकालिक आदर्श और भारतीयता की जड़ों पर प्रभावशाली विचार प्रस्तुत किए।
आईजीएनसीए में सभी प्रकार की रामलीलाओं का डॉक्यूमेंटेशन करके एक ऑनलाइन कोष (रिपॉजिटरी) बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
इस अवसर पर लोकगायिका विजया भारती एवं उनके सहयोगी कलाकारों ने मधुर लोकगीतों की प्रस्तुति से श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।
तीन दिवसीय इस आयोजन में विविध विषयों पर संगोष्ठियाँ, चित्र-प्रदर्शनियाँ, लोक-नृत्य, भजन, मृदंग और तबला वादन, कथक-भरतनाट्यम जैसी शास्त्रीय प्रस्तुतियाँ हुईं। ‘अयोध्या पर्व’ न केवल श्रद्धा और परंपरा का उत्सव रहा, बल्कि यह संस्कृति, साहित्य और लोकसंवाद का जीवंत मंच भी बना।
ज्ञात हो कि तीन दिवसीय ‘अयोध्या पर्व’ का शुभारम्भ आईजीएनसीए परिसर में मर्यादा पुरुषोत्तम’ पर आधारित पद्मश्री वासुदेव कामत के चित्रों की प्रदर्शनी, वाल्मीकि रामायण पर आधारित पहाड़ी लघुचित्र प्रदर्शनी और चौरासी कोसी अयोध्या के तीर्थस्थल पर आधारित ‘बड़ी है अयोध्या’ प्रदर्शनी के उद्घाटन के साथ हुआ था।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भी प्रदर्शनियों का अवलोकन किया। प्रदर्शनी का उद्घाटन अयोध्या के मणिरामदास छावनी के महंत पूज्य कमल नयन दास जी महाराज, गीता मनीषी महामंडलेश्वर पूज्य ज्ञानानंद जी महाराज, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय, आईजीएनसीए के ट्रस्टी वासुदेव कामत ने किया। प्रदर्शनी के उद्घाटन के बाद, भगवान राम और अयोध्या की महिमा पर इन सभी ने अपने विचार साझा किए। उद्घाटन सत्र के दौरान, गणमान्य अतिथियों ने तीन पुस्तकों का विमोचन भी किया।
उद्घाटन सत्र के बाद, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शृंखला में राजकुमार झा और उनके साथी कलाकार विनोद व्यास तथा पंकज ने मृदंग वादन से समां बांध दिया। इसके बाद प्रज्ञा पाठक, विनोद व्यास, साकेत शरण मिश्र एवं उनके साथी कलाकारों ने अपने भजन गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
दूसरे दिन, शाम का सत्र ‘भारतीय संस्कृति के नवाचार में तुलसीदास जी का योगदान’ विषय पर केंद्रित था। इसे हनुमन्निवास अयोध्या के श्रीमहंत मिथिलेश नंदिनी शरण जी, दिल्ली विश्वविद्य़ाल के प्रो. चंदन चौबे, कला एवं रंगमंच समीक्षक ज्योतिष जोशी, साहित्यकार उमेश प्रसाद सिंह और इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के डीन (अकादमिक) प्रो. प्रतापानंद झा ने संबोधित किया। दोनों सत्रों का संचालन भारती ओझा ने किया। इस सत्र के बाद कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।

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