नेशनल हेराल्ड केस: ईडी का एक्शन, कब्जे में ली जाएगी 661 करोड़ की संपत्ति, नोटिस जारी

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नयी दिल्ली { गहरी खोज } : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बताया है कि उसने 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति पर कब्जे के लिए नोटिस जारी किया है, जिसे उसने कांग्रेस नियंत्रित ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ के खिलाफ धन शोधन मामले की जांच में कुर्क किया था। यह मामला कांग्रेस पार्टी से जुड़े नेशनल हेराल्ड अखबार से संबंधित है और इसमें वित्तीय अनियमितताओं के आरोप हैं।
संघीय जांच एजेंसी के बयान के मुताबिक उसने बीते शुक्रवार (11 अप्रैल) को दिल्ली में आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस, मुंबई के बांद्रा इलाके में स्थित परिसर और लखनऊ में बिशेश्वर नाथ मार्ग स्थित एजेएल बिल्डिंग पर ये नोटिस चस्पा किए हैं। ये नोटिस उन इलाकों के लिए हैं जहां AJL की संपत्तियां स्थित हैं। नोटिस में परिसर खाली करने या किराए (मुंबई की संपत्ति के मामले में) को ईडी को हस्तांतरित करने के लिए कहा गया है।
यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा (8) और नियम 5(1) के तहत की गई है जो ईडी द्वारा कुर्क की गई और निर्णायक प्राधिकरण द्वारा पुष्टि की गई संपत्तियों पर कब्जे की प्रक्रिया का प्रावधान करता है। ईडी ने नवंबर 2023 में इन अचल संपत्तियों को कुर्क किया था। ईडी का धन शोधन का यह मामला एजेएल और यंग इंडियन के खिलाफ है।
नेशनल हेराल्ड एजेएल द्वारा प्रकाशित किया जाता है और इसका स्वामित्व यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के पास है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी यंग इंडियन के शेयरधारक हैं और उनमें प्रत्येक के पास 38 प्रतिशत शेयर हैं। ईडी का आरोप है कि यंग इंडियन और एजेएल की संपत्तियों का इस्तेमाल 18 करोड़ रुपये के फर्जी दान, 38 करोड़ रुपये के फर्जी अग्रिम किराए और 29 करोड़ रुपये के फर्जी विज्ञापनों के रूप में अपराध की आय अर्जित करने के लिए किया गया।
ईडी की जांच में सामने आया कि यंग इंडियन, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नियंत्रण है, ने सिर्फ 50 लाख रुपये में एजेएल की इतनी बड़ी संपत्ति पर मालिकाना हक पा लिया। एजेंसी का मानना है कि यह लेनदेन मनी लॉन्ड्रिंग का एक हिस्सा था। इसके साथ ही ईडी ने यह भी पाया कि यंग इंडियन और एजेएल की संपत्तियों का इस्तेमाल आगे भी अवैध रूप से पैसा कमाने के लिए किया गया। इसमें लगभग 18 करोड़ रुपये का फर्जी चंदा, 38 करोड़ रुपये का फर्जी किराया और 29 करोड़ रुपये के फर्जी विज्ञापन शामिल हैं।

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